ज़रा से अगर बेवफा-कच्चे धागे १९७३
में सुन चुके हैं आप इधर. इसी जोड़ी पर एक और गीत है
फिल्म कच्चे धागे में. इसे भी सुन लेते हैं.
आनंद बक्षी की रचना को स्वर दिया है लता मंगेशकर ने
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की धुन पर. ये थोड़ा कम सुना गया
गीत है.
गीत के बोल:
जरा से अगर बेवफा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
ज़रा से अगर बेवफा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
हसीनों की फिर तो कदर कुछ न होती
हसीनों की फिर तो कदर कुछ न होती
किसी को हामरी खबर कुछ न होती
जादू भरी ये नज़र कुछ न होती
जरा से जो काफर अदा हम न होते
जरा से जो काफर अदा हम न होते
जरा से अगर बेवफा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
भला कौन दिल जोड़ता आशिको का
भला कौन दिल जोड़ता आशिको का
ये गम साथ ना छोड़ता आशिको का
गम-ए-इश्क की अगर दवा हम न होते
गम-ए-इश्क की अगर दवा हम न होते
जरा से अगर बेवफा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
हमें कोई अपनी जवानी ना देता
हमें कोई अपनी जवानी ना देता
मोहब्बत मे यूँ जिंदगी ना देता
शराब-ए-नज़र का कोई पानी ना देता
जो एक खूबसूरत बला हम न होते
जो एक खूबसूरत बला हम न होते
जरा से अगर बेवफा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
तुम्हरी कसम दिलरुबा हम न होते
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Zara se agar ham-Kachche Dhaage 1973
Artists: Vinod Khanna, Sona
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