मेरे टूटे हुए दिल से-छलिया १९६०
गीत. इसे कमर जलालाबादी ने लिखा है और इसकी
दनु तैयार की है कल्याणजी आनंदजी ने.
अपनी सूची पर गौर फरमाने के बाद मैं ये पाया इस
गीत को बहुत पहले शामिल कर लेना चाहिए था. हम
खा-म-खां रेयर और अनजाने गीतों के चक्कर में पड़
गए और मक्खियाँ उड़ के गुड वाले ब्लॉग पर जा
पहुंची.
दिल ही एक ऐसी चीज़ है इंसान के शरीर में जो पद्य
में टूटती है बिखरती है. दिल की नाज़ुक रगें भी टूट
जाती हैं ऐसा हमने गीतों के माध्यम से समझा. उसके
अलावा वास्तविकता में तो हड्डियां टूटा करती हैं.
गीत के बोल:
मेरे टूटे हुए दिल से कोई तो आज ये पूछे
के तेरा हाल क्या है के तेरा हाल क्या है
मेरे टूटे हुए दिल से
किस्मत तेरी रीत निराली, ओ छलिये को छलने वाली
फूल खिला तो टूटी डाली
जिसे उलफ़त समझ बैठा, मेरी नज़रों का धोखा था
किसी की क्या खता है
मेरे टूटे हुए दिल से
माँगी मुहब्बत पाई जुदाई, दुनिया मुझको रास न आई
पहले कदम पर ठोकर खाई
सदा आज़ाद रहते थे हमें मालूम ही क्या था
मुहब्बत क्या बला है
मेरे टूटे हुए दिल से
………………………………………….
Mere toote hue dil se-Chhalia 1960
Artist: Raj Kapoor
0 comments:
Post a Comment