हवा ये प्रभाती-शुभकामना १९८३
फिल्मों के गीत हैं सुनने को. ऐसे तठस्त और प्रकृति
से जुड़े गीत कानों और दिमाग दोनों के लिए सुखदायी
होते हैं. ऐसे गीतों को नायक-नायिका के लिपस्टिकमय
चेहरों और कोल्ड क्रीम युक्त शरीरों की ज़रूरत नहीं होती.
इन्हें कुलांचे मारते हुए हिरण पर भी फिल्माया जा सकता
है.
सनते हैं फिल्म शुभकामना से अनजान का लिखा गीत
जिसे लता मंगेशकर ने आर डी बर्मन की धुन पर गाया
है. प्रभाती प्रभात के समय गाया जाने वाला गीत कहा
जाता है. वो भक्ति गीत या भजन भी हो सकता है.
https://www.youtube.com/watch?v=R30i6hRgiPM
गीत के बोल:
हो ओ आ आ आ आ आ आ आ आ
हवा ये प्रभाती सुनाये जगाये
जग सारा धीरे धीरे जागे रे
हवा ये प्रभाती सुनाये जगाये
जग सारा धीरे धीरे जागे रे
हवा ये प्रभाती हवा ये प्रभाती
जाने कहाँ से चल के उजाले
जागें गुलाबी सवेरे
छुप के कोई नीले गगन से
धरती पे सोना बिखेरे
हो ओ ओ ओ ओ ओ
छुपे कहाँ जा के घनेरे अँधेरे
जग सारा नया नया लागे रे
हवा ये प्रभाती सुनाये जगाये
जग सारा धीरे धीरे जागे रे
हवा ये प्रभाती हवा ये प्रभाती
दिन यूँ ही आये यूँ ही चला जाए
मन पे जो छाये अँधेरे
जाने कब वो सूरज आये
मन में जो किरणें बिखेरे
हो ओ ओ
स्वर्ग धरा पे उतारे सँवारे
सोये सोये मन को जगा के रे
हवा ये प्रभाती सुनाये जगाये
जग सारा धीरे धीरे जागे रे
हवा ये प्रभाती हवा ये प्रभाती
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Hawa ye prabhati-Shubhkamna 1983
Artists: None
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