कभी ना जिया लागे तो-आखिरी डाकू १९७८
वस्तु या पहलू आखिरी ही हो. ये तो मन को बहलाने
वाली बात है. सही है ना गुप्त, सुप्त और लुप्त से मित्रों.
इतिहास गवाह है सबसे बढ़िया और आखिरी शब्दों को
समय ने धता बताई है.
सुनते हैं आखिरी डाकू से एक गीत हेलन पर फिल्माया
गया. आशा भोंसले गायिका हैं. अनजान का लिखा गीत
है और कल्याणजी आनंदजी का संगीत. गीत उम्दा है
मगर जब फ़िल्मी भैंस पानी में सरक जाती है तो गीत
संगीत क्या कर लेंगे. फिर एक और बात है-पञ्च वाली.
हाँ वही घूंसे वाला पञ्च. पूरे एल्बम में दम होगा तो
वो हिट ज़रूर होगा. कल्याणजी आनंदजी को फ़ोकट की
वाह वाह करने वाले फिल्म और संगीत समीक्षक नहीं
मिले.
गीत में आपको विनोद खन्ना और रणजीत भी नज़र
आयेंगे. इसे मुजरा गीत के नाम से पहचाना जाता है.
पुराने ज़माने के हीरो पी. जयराज पुलिस इन्स्पेक्टर के
रूप में नज़र आयेंगे जिन्होंने भेस बदल रखा है. उनके
साथ उनका साइड किक भी है जिसका नाम मुहे याद
नहीं आ रहा है अभी.
गीत के बोल:
आ आ आ आ आ आ आ हाय
घड़ियाँ गिन गिन दिन बीते
और तारे गिन गिन रैन
एक उमरिया वो आये
जब कहीं ना आये चैन हाय
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
जो मांगे मिले ना हाँ मांगे मिले न
जो मांगे मिले न वो बिन मांगे पईयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
आ आ आ आ आ आ आ
है नदिया में पानी हाँ सागर में पानी
है नदिया में पानी हाँ सागर में पानी
पानी बिना फिर भी प्यासी जवानी
जब दिल जलाये उमरिया दीवानी
जब दिल जलाये उमरिया दीवानी
तो नदिया किनारे ना जइयो ना जइयो
मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
आ आ आ आ आ आ आ
ये अंगूरी रस में तो नकली नशा है
ये अंगूरी रस में तो नकली नशा है
असली नशा तो राजा दिल में बसा है
दिल पूछे पीने में कैसा मज़ा है
दिल पूछे पीने में कैसा मज़ा है
तो बोतल में डूब जइयो ना जइयो
मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
जो मांगे मिले ना हाँ मांगे मिले न
जो मांगे मिले न वो बिन मांगे पईयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
कहीं ना जिया लागे तो मेरी गली अइयो
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Kahin na jiya lage-Akhiri Daku 1978
Artists: Helen, Vinod Khanna, Ranjeet, Jairaj
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