रात को जी हाय रात को-आग १९४८
युगल गीत में आँख मारने के ५-६ वाकये हैं फिल्मों में. एक
जीतू श्रीदेवी वाली फिल्म ८० के दशक की और अरशद वारसी
वाली ९० के दशक की फिल्म है.
सुब्ते हैं रोचक गीत मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ जिसे
मुकेश और शमशाद बेगम ने गाया है. संगीत है राम गांगुली
का.
रात को जो पहला तारा चमक रहा है गीत में वो लैम्प पोस्ट
है. एक हास्य गीत है ये जिसमें नायक नायिका निप्पल चूसने
वाले बच्चे दिखलाई दे रहे हैं. इसको कहते हैं क्रीयेटिविटी.
गीत के बोल:
रात को जी हाय रात को जी चमकें तारें
रात को जी चमकें तारे
देख बलम मोहे अँखियाँ मारे जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी चमकें तारे
पहलू में दिल मेरा पाँव पसारे जी मैं का करूँ राम
रात को जी हाय रात को जी बोले पपीहरा
देख बलम मोरा डोले जियरा जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी बोले पपीहरा
भेद खोले तेरा-मेरा मेरा-तेरा
हो भेद खोले तेरा-मेरा मेरा-तेरा जी मैं का करूँ राम
रात को जी हाय रात को जी चमके चंदा
जैसे बलम तेरे प्यार का फन्दा जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी चमके चन्दा
तेरे बिन पाए नहीं चैन यह बन्दा जी मैं का करूँ रामा
रात को जी हाय रात को जी उड़ते बादल
देख बलम मोरा छोड़ दे आँचल जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी उड़ते बादल
साथ हमारे गोरी दूर चल्यो जी मैं का करूँ रामा
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Raat ko ji haay-Aag 1948
Artists: Vishwa Mehra, Mohana Cabral
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