Nov 25, 2019

गोरे गोरे चाँद से मुख पर-अनिता १९६७

फिल्म बेक़सूर के गीत की दो पंक्तियों के साथ एक
और गीत तैयार कर दिया गीतकार मुंशी आरज़ू उर्फ
आरज़ू लखनवी ने सन १९६७ की फिल्म अनिता के
लिए.

फिल्म के निर्देशक ने तीन गीतकार क्यों लिए गीत
लेखन के लिए ये एक कहानी हो सकती है जिस पर
आपको शायद एक दिन मालूम चल ही जाये. अब तो
ये भी मालूम हो चला है किस कलाकार का कुत्ता
किस साबुन से नहाया करता था.

गौरतलब है इस फिल्म में आनंद बक्षी का लिखा एक
ही गीत है. राज खोसला ने राजा मेहँदी अली खान को
ज़रूर गीतकार के तौर पर लिया होगा क्यूंकि उसके
पहले वाली फिल्म जिसमें मदन मोहन का संगीत है,
गीत राजा मेहँदी अली खान के ही हैं. खोसला ने एक
गीत के लिए आरज़ू लखनवी को लिया उसकी वजह
प्रोड्यूसर भी नहीं हो सकता क्यूंकि उस फिल्म के
निर्माता भी वही हैं. हो सकता है किसी फायनेंसर की
फरमाईश पर ऐसा किया गया हो. खैर जो भी हुआ हो
उसका नतीजा उम्दा निकला.




गीत के बोल:

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
देख के जिनको नीद उड़ जाए वो मतवाली आँखें हैं
गोरे गोरे
मुंह से पल्ला क्या सरकाना
मुंह से पल्ला क्या सरकाना इस बादल में बिजली है
दूर ही रहना
दूर ही रहना इनसे कयामत ढाने वाली आँखें हैं

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोरे गोरे

वे जिनके अंधेर है सब कुछ
वे जिनके अंधेर है सब कुछ ऐसी बात है इनमें क्या
आँखें आँखें आँखें आँखें
आँखें आँखें सब हैं बराबर कौन निराली आँखें हैं

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोर गोरे

बेदेखे आराम नहीं है
बेदेखे आराम नहीं है देखे तो दिल का चैन गया
देखने वाले देखने वाले
देखने वाले देखने वाले यूँ कहते हैं भोली भाली आँखें हैं
देख के जिनको नीद उड़ जाए वो मतवाली आँखें हैं

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोरे गोरे
………………………………………………………..
Gore gore chand se much par-Anita 1967

Artists: Sadhana, Manoj Kumar

1 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP