कतरा कतरा मिलती है-इजाज़त १९८७
फ़िल्में बनी हैं बॉलीवुड में. कुछ फ़िल्में ऐसी हैं जो दिल
और दिमाग पर असर कर जाती हैं. ऐसी ही एक फिल्म
है इजाज़त. १९८७ के हिसाब से लीक से हट कर विषय
को हौले हौले और आहिस्ते से डील किया है गुलज़ार ने.
ये हम मौसम फिल्म में भी देख चुके हैं. थोडा रिफाइनमेंट
अवश्य है इतने सालों के सफर में मगर गुलज़ार को जो
गति पसंद है अपनी फिल्मों के इसमें भी लगभग वही है.
संगीतकार की ट्यूनिंग इतनी बढ़िया रही गीतकार के साथ
कि हमें उम्दा गीत सुनने को मिल रहे हैं आज तक. इस
मामले में गीतकार का निर्देशक होना भी शायद एक बड़ा
कारण है. फिल्म किनारा के गीत भी कहानी का अटूट
हिस्सा से प्रतीत होते हैं. गीतकार शायद यहाँ अंदर की
आवाज़ की प्रतिध्वनि चाहता था गीत में जो उसे मिल गयी.
संगीतकार ने ट्रेक ओवरलैप और मिक्सिंग के ज़रिये इसे
सुगम बना दिया.
गीत के बोल:
कतरा कतरा मिलती है
कतरा कतरा जीने दो
ज़िंदगी है ज़िंदगी है
बहने दो बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो ना
कतरा कतरा जीने दो
ज़िंदगी है ज़िंदगी है
बहने दो बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो ना
कल भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था
नींद में थी तुमने जब छुआ था
गिरते गिरते बाहों में बची मैं
हो सपने पे पाँव पड़ गया था
सपनों में बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो
कतरा कतरा जीने दो
ज़िंदगी है ज़िंदगी है
बहने दो बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो ना
तुमने तो आकाश बिछाया
मेरे नंगे पैरों में ज़मीन है
कैसी भी तुम्हारी जो आरज़ू हो
हो शायद ऐसे ज़िन्दगी हसीन है
आरज़ू में बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो ना
कतरा कतरा जीने दो
ज़िंदगी है ज़िंदगी है
बहने दो बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो
हलके हलके कोहरे के धुंए में
शायद आसमान तक आ गयी हूँ
तेरी दो निगाहों के सहारे
हो देखो तो कहाँ तक आ गयी हूँ
कोहरे में बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो
कतरा कुतरा जीने दो
ज़िंदगी है ज़िंदगी है
बहने दो बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो
रहने दो रहने दो
रहने दो रहने दो
रहने दो
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Katra katra milti hai-Ijazat 1987
Artists: Rekha, Naseerudiin Shah
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