Nov 19, 2019

लूटा है ज़माने ने-दोराहा १९५२

बहुत दिनों बाद कोई फरमाईश आई है अतः हम आपको
एक गीत उसी फिल्म से सुनवायेंगे जिससे कल एक सुनवाया
था.

अनिल बिश्वास को हिंदी फिल्म संगीत जगत में पितामह
का दर्ज़ा हासिल है. उन्होंने हिंदी गाने के फॉर्मेट और उसकी
जमावट पे जो काम किया उसे काफी संगीतकारों ने अपनाया
और इसका फायदा ५० के दशक में साफ़ नज़र आने लगा.

आज सुनते हैं लता मंगेशकर का गाया हुआ एक बढ़िया गीत
फिल्म दोराहा से. प्रेम धवन की रचना है. तीनों अंतरे अलग
अलग तरीके से गाये गए हैं. ये करिश्मा आपको अनिल बिश्वास
के संगीत में खूब मिलेगा.




गीत के बोल:

लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है
इक बार हँसाया था
इक बार हँसाया था सौ बार रुलाया है
लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है

दुनिया में वफ़ा कैसी उल्फ़त भी है इक धोखा
दुनिया में वफ़ा कैसी उल्फ़त भी है इक धोखा
ये दुनिया भी देखी है
ये दुनिया भी देखी है जो धोखा भी खाया है

इस ग़म के अँधेरे में अब याद नहीं ये भी
इस ग़म के अँधेरे में अब याद नहीं ये भी
कब दीप जलाया था
कब दीप जलाया था कब दीप बुझाया है

ख़ामोश हूँ इस डर से रुसवाई न हो तेरी
ख़ामोश हूँ इस डर से रुसवाई न हो तेरी
उमडे हुये अश्क़ों को
उमडे हुये अश्क़ों को पलकों में छुपाया है

लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है
…………………………………………………….
Loota hai zamane ne-Doraha 1952

Artist: Nalini Jaywant

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