Nov 12, 2019

मैं हूँ मस्त मदारी-मदारी १९५९

श्वेत श्याम युग से एक मधुर युगल गीत सुनते हैं जो
सन १९५९ की फिल्म मदारी का शीर्षक गीत है. इस
गीत का मदारी मस्त है जैसा कि हमने इस गीत से
समझा.

पंडित मधुर का लिखा गीत है जिसे मुकेश ने गाया है
कल्याणजी आनंदजी की धुन पर.




गीत के बोल:

मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
हो मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी

खेल-खेल में मेल हो दिल का ऐसा खेल दिखाऊँ
नज़रों की मैं डोर फेंक कर तेरा दिल उलझाऊँ
खेल-खेल में मेल हो दिल का ऐसा खेल दिखाऊँ
नज़रों की मैं डोर फेंक कर तेरा दिल उलझाऊँ
पागल को पागल पहचाने जाने नहीं अनाड़ी

हो मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
हो मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी

छुपने वाले छुप कर आते छुप कर करें इशारा
लेकिन दर्द छुपाएँ कैसे तीर-ए-नज़र का मारा
छुपने वाले छुप कर आते छुप कर करें इशारा
लेकिन दर्द छुपाएँ कैसे तीर-ए-नज़र का मारा
एक अदा पे हम करते क़र्बान ये दुनिया सारी

मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
.......................................................
Main hoon mast madari-Madari 1959

Artist: Ranjan

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