प्यार है इक निशान क़दमों का-मुक्ति १९७७
गीत अवश्य सुनना चाहिए जिससे हीलियम गैस थोड़ी
नियंत्रण में रहे और मन का गुब्बारा ज्यादा ऊपर ना
उड़ के ज़मीन के नज़दीक रहे.
संगीत भक्त इतने सारे gem गिनवा देते हैं कि उसके
बाद तरह तरह के जैम और मुरब्बे याद आने लगते हैं
और मुंह में पानी आने लगता है.
सुनते हैं एक उम्दा बोलों वाला गीत फिल्म मुक्ति से
जिसे आनंद बक्षी ने लिखा है. इसकी धुन आर डी बर्मन
ने बनाई है और इसे रफ़ी ने गाया है. इसे फिल्म के
टाईटल्स पर फिल्माया गया है.
गीत के बोल:
मिल जाती है संसार में संसार से मुक्ति
मिलती नहीं मर के भी मगर प्यार से मुक्ति
प्यार है इक निशान क़दमों का
प्यार है इक निशान क़दमों का
जो मुसाफ़िर के बाद रहता है
प्यार है इक निशान क़दमों का
जो मुसाफ़िर के बाद रहता है
भूल जाते हैं लोग सब लेकिन
कुछ ना कुछ फिर भी याद रहता है
प्यार है इक निशान क़दमों का
रोक लेती हैं राह में यादें
जब भी राहों से हम गुज़रते हैं
रोक लेती हैं राह में यादें
जब भी राहों से हम गुज़रते हैं
खो गये क़हक़हों में जो उनको
आँसुओं में तलाश करते हैं
दिल पे हल्की सी चोट लगती है
दर्द आँखों से टूट बहता है
प्यार है इक निशान क़दमों का
कुछ भी तो कम नहीं हुआ देखो
ज़ख्म हैं फूल हैं बहारें हैं
कुछ भी तो कम नहीं हुआ देखो
ज़ख्म हैं फूल हैं बहारें हैं
तुम नहीं हो मगर तुम ही तुम हो
सब तुम्हारी ही यादगारें हैं
टूट जाने से टूट जाते हैं
दिल के रिश्ते ये कौन कहता है
प्यार है इक निशान क़दमों का
ये ग़लत है के मरने वालों को
ज़िंदगी से निजात मिलती है
ये ग़लत है के मरने वालों को
ज़िंदगी से निजात मिलती है
इस बहाने से ग़म के मारों को
और लम्बी हयात मिलती है
माना ज़ंजीरें टूट जाती हैं
आदमी फिर भी क़ैद रहता है
भूल जाते हैं लोग सब लेकिन
कुछ ना कुछ फिर भी याद रहता है
प्यार है इक निशान क़दमों का
जो मुसाफ़िर के बाद रहता है
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Pyar hai ek nishan-Mukti 1977
Artists: Pehchano kaun ?
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