गीत तेरे साज़ का-इंतक़ाम १९६९
पर साधना के लिए बनाया गया था. ये फिल्म का
सबसे खूबसूरत गीत है कई मायनों में.
इसके बोल, दृश्यावली, फिल्मांकन और संगीत सभी
मनमोहक हैं. ऐसी लार्जर देन लाइफ वाली तस्वीरों
को बड़े परदे पर देखने में ही आनंद आता है. छोटे
टिकट साइज़ के स्क्रीन पर भैंस भी छोटी दिखती
है और ध्यान से ना देखो तो बकरी नज़र आती है.
सुनते हैं मधुर गीत लता मंगेशकर की आवाज़ में
जिसकी रचना की है राजेंद्र कृष्ण ने.
गीत के बोल:
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
तू भी मेरा साथी बन जा मैं तेरी हमराज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
तू भी मेरा साथी बन जा मैं तेरी हमराज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
आ जा मिल के बाँट लें हो ओ ओ
क्या खुशियां क्या ग़म
हो ओ ओ आ जा मिल के बाँट लें हो ओ ओ
क्या खुशियां क्या ग़म
तन्हा तन्हा तन्हाई का ज़हर पियें क्यूँ हम
तू मेरे जीवन का पंछी मैं तेरी परवाज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
तू भी मेरा साथी बन जा मैं तेरी हमराज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
दो दिन का साथ नहीं हो ओ ओ
सारी उम्र का है साथ हो ओ ओ
दो दिन का साथ नहीं हो ओ ओ
सारी उम्र का हैं साथ
जीते जी न होंगे जुदा ये आज मिले जो हाथ
तू मेरे साँसों का मालिक मैं तेरी दम साज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
तू भी मेरा साथी बन जा मैं तेरी हमराज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ हूँ
……………………………………….
Geet tere saaz ka-Inteqam 1969
Artists: Sadhana, Sanjay Khan
0 comments:
Post a Comment