मैं पीतल की पायलिया भी-कसम खून की १९७७
से प्रमुख है निर्देशक बिमल रॉय और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित.
बिमल रॉय को तो लगभग सभी गंभीर सिने प्रेमियों ने याद किया
ही होगा आज अपने अपने तरीके से अतः हम सुलक्षणा पंडित को
याद कर लेते हैं. आज वो काफी कष्ट में हैं और ईश्वर से यही
परार्थना है कि उन्हें स्वस्थ और चलने फिरने लायक रखे.
७० और ८० के दशक की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक सुलक्षणा
का फ़िल्मी कैरियर बतौर अभिनेत्री उलझन से शुरू हुआ. १९७१ की
फिल्म दूर का रही के लिए उन्होंने एक गीत गाया था. डबिंग
आर्टिस्ट के तौर पर उन्होंने संगीतकारों के साथ काम किया प्लेबैक
में पदार्पण के पहले. सन १९६७ की फिल्म तकदीर के गाने में भी
उनकी आवाज़ है-पप्पा जल्दी आ जाना.
एकमात्र फिल्मफेयर उन्हें अभिनय के लिए बल्कि गायकी के लिए
दिया गया-१९७५ की फिल्म संकल्प के एक गाने के लिए.
आज सुनते हैं सन १९७७ की फिल्म कसम खून की से अपने समय
में खूब बजा हुआ गाना जिसे लता मंगेशकर ने गाया है. इस गीत
को लिखा है अनजान ने और इसकी धुन तैयार की है संगीतकार
जोड़ी कल्याणजी आनंदजी ने.
गीत के बोल:
मैं पीतल की पायलिया
मैं पीतल की पायलिया भी पहनूँ जो पाँव में
सोने का भाव सोने का भाव गिर जाये
शीशे का भी नग जो चढ़ा लूँ नथनिया में
शीशे का भी नग जो चढ़ा लूँ नथनिया में
हीरे का भाव हीरे का भाव गिर जाये
पीतल की पायलिया भी पहनूँ जो पाँव में
मेरा सिंगार यही सूरत है मेरी
मेरा सिंगार यही सूरत है मेरी
सूरत भी क्या ख़ूबसूरत है मेरी
गहनों की मुझको ज़रूरत नहीं है
गहनों की मुझको ज़रूरत नहीं है
गहनों को शायद ज़रूरत हो मेरी
मैं अंग अपने जिसको सजा लूं
उसका नसीब खिल जाये
पीतल की पायलिया
मैं पीतल की पायलिया भी पहनूँ जो पाँव में
सोने का भाव सोने का भाव गिर जाये
पीतल की पायलिया भी पहनूँ जो पाँव में
ये प्यार मेरा तूझे महँगा पड़ेगा
ये प्यार मेरा तूझे महँगा पड़ेगा
तू मोल क्या मेरे दिल का चुकाये
वो हार मेरे गले का बनेगा
वो हार मेरे गले का बनेगा
जो प्यार में जान पर खेल जाये
मेरी नज़र से गिर जाये जो दिल
शोलों में वो ही घिर जाये
पीतल की पायलिया
मैं पीतल की पायलिया भी पहनूँ जो पाँव में
सोने का भाव सोने का भाव गिर जाये
पीतल की पायलिया भी पहनूँ जो पाँव में
शीशे का भी नग जो चढ़ा लूँ नथनिया में
शीशे का भी नग जो चढ़ा लूँ नथनिया में
हीरे का भाव हीरे का भाव गिर जाये
पीतल की पायलिया भी पहनूँ जो पाँव में
………………………………………………
Main peetal ki payaliya bhi-Kasam khoon ki 1977
Artists: Sulakshana Pandit, Amjad Khan
0 comments:
Post a Comment