ये दिल और उनकी-प्रेम पर्वत १९७३
अवसर पर सुनेंगे फिल्म प्रेम पर्वत से एक गीत जो कि
एक बेहद लोकप्रिय गीत है. इसे जान निसार अख्तर
ने लिखा है.
समय के साथ भिन्न और अज्ञात कारणों से नष्ट हुई
फिल्मों में से एक है प्रेम पर्वत. ये अफसोसजनक है,
मगर क्या किया जाए.
गीत के बोल:
ये दिल और उनकी निगाहों के साये
ये दिल और उनकी निगाहों के साये
ये दिल और उनकी निगाहों के साये
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
पहाड़ों को चंचल किरण चूमती है
पहाड़ों को चंचल किरण चूमती है
हवा हर नदी का बदन चूमती है
हवा हर नदी का बदन चूमती है
यहाँ से वहाँ तक हैं चाहों के साये
यहाँ से वहाँ तक हैं चाहों के साये
ये दिल और उनकी निगाहों के साये ...
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
लिपटते ये पेड़ों से बादल घनेरे
लिपटते ये पेड़ों से बादल घनेरे
ये पल पल उजाले ये पल पल अंधेरे
ये पल पल उजाले ये पल पल अंधेरे
बहुत ठंडे ठंडे हैं राहों के साये
बहुत ठंडे ठंडे हैं राहों के साये
ये दिल और उनकी निगाहों के साये
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
धड़कते हैं दिल कितनी आज़ादियों से
धड़कते हैं दिल कितनी आज़ादियों से
बहुत मिलते जुलते हैं इन वादियों से
बहुत मिलते जुलते हैं इन वादियों से
मुहब्बत की रंगीं पनाहों के साये
मुहब्बत की रंगीं पनाहों के साये
ये दिल और उनकी निगाहों के साये
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये
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Ye dil aur unki nigahon ke-Pram parbat 1973
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