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Jun 23, 2018

गया बचपन जो आई जवानी-आँखों आँखों में १९७२

हमने आपको एक गीत सुनवाया था फिर कब मिलोगी
का जिसे लता मंगेशकर ने गाया है. उसे सुन के जिस
गाने की गोल्डन, सिल्वर, प्लेटिनम यादें आती हैं वो
है सन १९७२ की फिल्म आँखों आँखों से लता का ही
गाया एक मस्त गीत.

वर्मा मालिक काफ़ी हाज़िर जवाब गीतकार और कवि
हैं. इस गीत में उनकी इस प्रतिभा का बढ़िया प्रदर्शन
है और उस पर नायिका की उछल कूद भी रोचक है.
कुछ गाने आपको ऐसे मिलेंगे जिसमें ऑडियो और
वीडियो के बीच डाल-डाल पात-पात का गेम चलता
दिखाई देता है. जवानी आते ही चुनरी पतंग हो गई
और ठिंगनी हीरोइन दो गज़ लंबी हो गयी एक साल
में. फ़िल्मी गीत है कुछ भी संभव है.

कहते हैं जब सितारे गर्दिश में होते हैं तो ऊँट पे बैठे
इंसान को भी कुत्ता काट लेता है. फिल्म संगम के
गीत बुड्ढा मिल गया की रिकॉर्डिंग के पीछे की कहानी
आपको कई जगह पढ़ने को मिल जायेगी. वो दौर था
१९६४ का और फिल्म थी राज कपूर की. इस गीत को,
मगर, शंकर जयकिशन ने लता से किस तरह गवाया
इसका विवरण कहीं नहीं मिलता.

राखी और राकेश रोशन के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही
है इस गीत में- सबसे ज़्यादा गुलाबी कौन. गीत में
एक अर्ध-चम्पू सा युवक अपने बाप के साथ दिखाई
दे रहा है. ये एक्सरसाईज़ उसे फ्रसट्रेट करने के लिए
की जा रही है. उम्मीद है इस गाने के फिल्मांकन के
बाद फर्श काफ़ी साफ़ हो गया होगा और कपडे धुलाई
वाले ने साड़ी धोने से मन कर दिया होगा.

फिल्म का कहानी लेखन सचिन भौमिक और एहसान
रिज़वी का है.



गीत के बोल:

गया बचपन
गया बचपन जो आई जवानी
तो चुनरी पतंग हो गयी
गया बचपन जो आई जवानी
तो चुनरी पतंग हो गयी
ऐसी पलकों में
ऐसी पलकों में छाई जो मस्ती
तबियत मलंग हो गयी
ऐसी पलकों में छाई जो मस्ती
तबियत मलंग हो गयी
गया बचपन

हिरणी की चाल बस गई मेरी चाल में
हा हा हो हो हा हा हो हो
हिरणी की चाल बस गई मेरी चाल में
दो गज़लम्बी हो गयी एक साल में
दो गज़ लम्बी हो गयी एक साल में
दे दे बचपन
दे दे बचपन तू ले ले जवानी
जवानी से मैं तंग हो गयी
दे दे बचपन तू ले ले जवानी
जवानी से मैं तंग हो गयी

गया बचपन जो आई जवानी
तो चुनरी पतंग हो गयी
गया बचपन

देखा जो तुझको उठी ऐसी हलचल
ला ला ला ला ला ला ला ला
देखा जो तुझको उठी ऐसी हलचल
मुझसे लिपट गया बेसरम आँचल
मुझसे लिपट गया बेसरम आँचल
मेरे होठों की
मेरे होठों की सुर्खी मचल के
चुनरिया का रंग हो गयी
मेरे होठों की सुर्खी मचल के
चुनरिया का रंग हो गयी

गया बचपन जो आई जवानी
तो चुनरी पतंग हो गयी
गया बचपन

दिल वाले बैठे मेरी राहें घेर के
आ हा ओ हो आ हा ओ हो
दिलवाले बैठे मेरी रहे घेरते
रुक जायें वहीँ जहाँ देखूं मुँह फेर के
रुक जायें वहीँ जहाँ देखूं मुँह फेर के
किसी बाबू से अंग्रेजी बाबू से
किसी बाबू से मिल गई जो अंखियां
तो अँखियों की जंग हो गयी
किसी बाबू से मिल गई जो अंखियां
तो अँखियो की जंग हो गायी

गया बचपन जो आई जवानी
तो चुनरी पतंग हो गयी
ऐसी पलकों में छाई जो मस्ती
तबियत मलंग हो गयी
गया बचपन
…………………………………………….
Gaya bachpan jo aayi-Aankhon aankhon mein 1972

Artist: Rakhi, Rakesh Roshan

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Jun 22, 2018

आँखों आँखों में बात होने दो-शीर्षक गीत १९७२

शंकर जयकिशन के संगीत खज़ाने से एक और फ़ेमस
शीर्षक गीत पेश है आज आपके लिए.

फिल्म आँखों आँखों में का निर्देशन रघुनाथ झालानी
ने किया था. राकेश रोशन और राखी हीरो हीरोईन हैं.
फिल्म की स्टारकास्ट में और जो जाने पहचाने लोग
हैं वो इस प्रकार से हैं-तरुण बोस, अचला सचदेव,
टुनटुन, जयश्री टी, मीना टी, प्राण और दारा सिंह.

किसी ज़माने में मुझे ये गाना सुन के आर डी बर्मन
का गाना होने का भ्रम हुआ था.

गीत हसरत जयपुरी ने लिखा है किशोर और आशा की
आवाजें हैं.




गीत के बोल:

आँखों आँखों में बात होने दो
मुझको अपनी बाँहों में सोने दो
शादी हो जाने दो
शादी हो जायेगी
पहले मीठे सपनों में खोने दो
ना ना ना
आँखों आँखों में बात होने दो
मुझको अपनी बाँहों में सोने दो

मन का पंछी डोले
अच्छा
प्रीत की बोली बोले
बात बढ़ेगी आगे लेकिन हौल हौले
कब तक इंतज़ारी
उम्र पड़ी है सारी
दिल को ज़रा दिल में समोने दो

आँखों आँखों में बात होने दो
मुझको अपनी बाँहों में सोने दो

पहले भी बरखा थी
तो क्या हुआ
पर ऐसे न भली थी
अच्छा जी
फूल बनी है अब तू पहले बंद कली थी
दिल में आग लगी है
दिल की आग बुझेगी
मोती ज़रा नथ में पिरोने दो

आँखों आँखों में बात होने दो
मुझको अपनी बाँहों में सोने दो
शादी हो जाने दो
शादी हो जायेगी
पहले मीठे सपनों में खोने दो
आँखों आँखों में बात होने दो
मुझको अपनी बाँहों में सोने दो
……………………………………………
Aankhon aankhon mein baat hone do-Titlesong 1972

Artists: Rakesh Roshan, Rakhi

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