मैं ढूँढता हूँ जिनको-ठोकर १९७४
दशक में सुर्ख़ियों में आये. उसके बाद अभी वाला युग है २०१० के
बाद वाला.
एक संगीतकार हैं श्यामजी घनश्यामजी. एक ही सज्जन हैं मगर
नाम से यूँ लगता है कि कोई जोड़ी हो. उनके भी जलवे रहे भले
ही सीमित समय के लिए रहे हों. उनकी फिल्म ठोकर के २ गीत
बेहद चर्चित हुए एक मुकेश का गाया हुआ और एक रफ़ी का गाया
हुआ.
प्रस्तुत गीत मुकेश का गाया हुआ है. इसे साजन देहलवी ने लिखा
है.
गीत के बोल:
मैं ढूँढता हूँ जिनको रातों को खयालों में
वो मुझको मिल सके ना
वो मुझको मिल सके ना सुबह के उजालों में
मैं ढूँढता हूँ जिनको रातों को खयालों में
सुहानी प्यार की बातें मेरे दिलदार की बातें
कभी इक़रार की बातें कभी इंकार की बातें
एक दर्द सा छुपा है दिल के हसीन छालों में
मैं ढूँढता हूँ जिनको रातों को खयालों में
जो यूँ बरबाद होते हैं वो कब आबाद होते हैं
दिल-ए-नाशाद होते हैं वो एक फ़रियाद होते हैं
उलझा हुआ हूँ कब से
उलझा हुआ हूँ कब से ग़म के अजीब जालों में
मैं ढूँढता हूँ जिनको रातों को खयालों में
वो मुझको मिल सके ना सुबह के उजालों में
मैं ढूँढता हूँ जिनको रातों को खयालों में
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Main dhoondhta hoon jinko-Thokar 1974
Artist: Baldev Khosa, Alka