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Jun 30, 2011

लबों से चूम लो-आस्था १९९७

आज आपको एक नई फिल्म आस्था से गीत सुनवाते हैं। गीत काफी
पसंद किया गया और सराहा गया। अब ये अपने ऑडियो के लिए
सराहा गया या विडियो के लिए ये आप खुद ही पता लगाइए। गीत में
आपको दो कलाकार दिखाई देंगे-ओम पुरी और रेखा।

बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित फिल्मों के मामले में बॉक्स ऑफिस पर
ख़ामोशी और सन्नाटा पसरा रहता था। फिल्म तीसरी कसम ऐसा सन्नाटा
पसरा गई कि साहित्य जगत और फिल्म जगत से एक संवेदनशील
गीतकार कम हो गया। फिल्म बाद में चली ज़रूर मगर जिसे असली फायदा
मिलना चाहिए था वो फ़ायदा मिलने तक नश्वर संसार से कूच कर गया।

शायद बासु के भाग्य में लोकप्रियता का तत्त्व कमजोर था या गायब था।
धार्मिक परिवार में पैदा हुए बासु ने शायद ही धार्मिक विषयों को हाथ
लगाया अपने पूरे कैरियर में। उनकी अंतिम फिल्म धार्मिक से नाम
वाली थी थी-आस्था जो कहानी के लिए कम, ओम पुरी और रेखा की
अलग हट के जोड़ी और कुछ अंतरंग दृश्यों की वजह से ज्यादा पहचानी
गई। जिस वर्ष आस्था रिलीज़ हुयी उसी वर्ष बासु ६२ वर्ष की आयु में
दुनिया को अलविदा कह गये ।




गीत के बोल:

लबों से चूम लो
आँखों से थाम लो मुझको

लबों से चूम लो, आँखों से थाम लो मुझको
तुम्हीं से जन्मूं तो शायद मुझे पनाह मिले

गुलज़ार:दो सौंधे-सौंधे से जिस्म जिस वक़्त
एक मुट्ठी में सो रहे थे
बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था
बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी

मैं आरज़ू की तपिश में पिघल रही थी कहीं
तुम्हारे जिस्म से होकर निकाल रही थी कहीं
बड़े हसीं थे जो राह में गुनाह मिले
तुम्हीं से जन्मूं तो शायद मुझे पनाह मिले

गुलज़ार: तुम्हारी लौ को पकड़ के जलने की आरज़ू में
जब अपने ही आप से लिपट के सुलग रहा था
बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था
बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी

तुम्हारी आँखों के साहिल से दूर दूर कहीं
मैं ढूंढती थी मिले खुशबुओं का नूर कहीं
वहीँ रुकी हूँ जहाँ से तुम्हारी राह मिले
तुम्हीं से जन्मूं तो शायद मुझे पनाह मिले
...............................
Labom se choom lo-Aastha 1997

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Nov 30, 2010

मन क्यूँ बहका रे-उत्सव १९८४

मंगेशकर बहनों ने साथ में कई गीत गाये हैं। लता ने आशा के
और उषा के साथ कई गीत गाये हैं। आशा ने भी उषा के साथ
कुछ गीत गाये। लता और आशा के गाये युगल गीतों में से जो
सबसे ज्यादा बजा वो आज प्रस्तुत है-फिल्म उत्सव से-मन क्यूँ
बहका रे। संस्कृत नाट्य-मृच्छकटिकम(मिटटी की गाडी) पर
आधारित गिरीश कर्नाड निर्देशित और शशि कपूर रेखा
अभिनीत इस फिल्म का संगीत खूब सुना गया। फिल्म ने
भी ठीक व्यवसाय किया। उस समय का प्रभाव दिखाने के
लिए गीत भी वैसे ही चाहिए थे। सो, देसी वाद्य यंत्रों के जमावड़े
के साथ लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत तैयार किया। चुनौतीपूर्ण
कार्य था जिसमे वे सफल भी रहे। फिल्म का संगीत हिट होने के
बाद लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दावे के साथ कहा कि फिल्म उत्सव
में केवल वही संगीत दे सकते थे। अनुराधा पटेल और रेखा पर
फिल्माया गया ये गीत लिखा है शारंग देव ने । चार-पांच किलो
सोने के आभूषणों से लदी फंदी रेखा का सौन्दर्य और अभिनय
अपने सर्वोत्तम शिखर पर हैं इस फिल्म में। एक बात और कहूँगा
राजेश खन्ना की भांति रेखा भी वो कलाकार हैं जिन पर फिल्माए
गए गीत जीवंत हो उठते हैं।



गीत के बोल:

मन क्यूँ बहका री बहका
मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को
बेला महका हो
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
किसने बंसी बजायी आधी रात को
हो किसने बंसी बजायी आधी रात को
जिसने पलकें हो
जिसने पलकें चुराई आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को

झांझर झमके सुन झमके
हो झांझर झमके सुन झमके
झांझर झमके सुन झमके
आधी रात को ओ ओ ओ
उसको टोको ना रोको, रोको ना टोको,
टोको ना रोको आधी रात को
हो लाज लगे री लागे आधी रात को
लाज लगे री लागे आधी रात को
देना सिन्दूर को सौंप आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को

बात कहते बने क्या आधी रात को
आँख खोलेगी बात आधी रात को
बात कहते बने क्या आधी रात को
आँख खोलेगी बात आधी रात को
हमने पी चांदनी आधी रात को
हो हो हमने पी चांदनी आधी रात को
चाँद आँखों में आया आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को

रात गुनती रहेगी आधी बात को
आधी बातों की पीर आधी रात को
रात गुनती रहेगी आधी बात को
आधी बातों की पीर आधी रात को
बात पूरी है कैसे आधी रात को
रात होती हो
रात होती शुरू है आधी रात को
मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका
बेला महका री महका
मन क्यूँ बहका
बेला महका
मन क्यूँ बहका
बेला महका
.........................................................
Man kyun behka ri-Utsav 1984

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