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Jun 14, 2012

मैं तेरे साथ हूँ जहाँ तू है -पत्थर 1985

फिल्म उद्योग में समय समय पर बदलाव होते रहते हैं। कई
बदलावों को दर्शक स्वीकार लेते हैं और कई बदलावों को सिरे
से ख़ारिज कर दिया जाता है। कला फिल्मों को थोडा बहुत
व्यावसायिक फार्मूले का तड़का भी लगाया जाने लगा 80 के
दशक के भीतर .

80 के दशक में कुछ खुरदुरे चेहरे वाले अभिनेताओं ने फिल्म
उद्योग में दस्तक दी। अर्ध सत्य की सफलता के बाद जनता
ओम पुरी को अच्छे से पहचानने लगी। इसी के चलते उनको कुछ
व्यावसायिक फ़िल्में भी मिलीं जिनमें से कुछ चलीं तो कुछ फ्लॉप
हो गयीं। ये फिल्म उन फ्लॉप फिल्मों में से एक है.

इस गीत में आपको दो कलाकार दिखाई देंगे-अनुराधा पटेल और
ओम पुरी । फिल्म  का नाम है पत्थर और इस फिल्म में
राम लक्ष्मण का संगीत है। गीत गा रही हैं आशा भोंसले .
गीतकार का नाम सुदर्शन है और ये पुराने ज़माने के गीतकार
सुदर्शन से भिन्न हैं. फिल्म  के गीत ताजगी का एहसास देते
हैं और लंबे समय तक सुने जा सकते हैं.



गीत के बोल :

मैं तेरे साथ  हूँ जहाँ तू है 
मैं तेरे साथ  हूँ जहाँ तू है 
दिल की धरती का आसमान तू है
दिल की धरती का आसमान तू है

 मैं तेरे साथ  हूँ जहाँ तू है

तेरे सीने में आग है मेरी
तेरे सीने
तेरे सीने में आग में है मेरी
तेरे सीने में आग में है मेरी
मेरी आँखों में जाने जान तू है
मेरी आँखों में जाने जान तू है 
दिल की धरती का आसमान तू है

मैं तेरे साथ  हूँ जहाँ तू है

जिसकी खातिर भटक रहा हूँ मैं
जिसकी खातिर भटक रहा हूँ मैं
जिसकी खातिर भटक रहा हूँ मैं 
मेरी मंजिल का वो निशान तू है
मेरी मंजिल का वो निशान तू है

दिल की धरती का आसमान तू है

मैं तेरे साथ  हूँ जहाँ तू है

चैन आये न अब  आये करार आये
चैन आये
चैन आये न अब  आये करार आये
 चैन आये न अब  आये करार आये 
मुझको आवाज़ दे कहाँ तू है
मुझको आवाज़ दे कहाँ तू है
दिल की धरती का आसमान तू है

मैं तेरे साथ  हूँ जहाँ तू है
मैं तेरे साथ  हूँ जहाँ तू है
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Main tere saath hoon jahan too hai-Patthar 1985

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Nov 30, 2010

मन क्यूँ बहका रे-उत्सव १९८४

मंगेशकर बहनों ने साथ में कई गीत गाये हैं। लता ने आशा के
और उषा के साथ कई गीत गाये हैं। आशा ने भी उषा के साथ
कुछ गीत गाये। लता और आशा के गाये युगल गीतों में से जो
सबसे ज्यादा बजा वो आज प्रस्तुत है-फिल्म उत्सव से-मन क्यूँ
बहका रे। संस्कृत नाट्य-मृच्छकटिकम(मिटटी की गाडी) पर
आधारित गिरीश कर्नाड निर्देशित और शशि कपूर रेखा
अभिनीत इस फिल्म का संगीत खूब सुना गया। फिल्म ने
भी ठीक व्यवसाय किया। उस समय का प्रभाव दिखाने के
लिए गीत भी वैसे ही चाहिए थे। सो, देसी वाद्य यंत्रों के जमावड़े
के साथ लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत तैयार किया। चुनौतीपूर्ण
कार्य था जिसमे वे सफल भी रहे। फिल्म का संगीत हिट होने के
बाद लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दावे के साथ कहा कि फिल्म उत्सव
में केवल वही संगीत दे सकते थे। अनुराधा पटेल और रेखा पर
फिल्माया गया ये गीत लिखा है शारंग देव ने । चार-पांच किलो
सोने के आभूषणों से लदी फंदी रेखा का सौन्दर्य और अभिनय
अपने सर्वोत्तम शिखर पर हैं इस फिल्म में। एक बात और कहूँगा
राजेश खन्ना की भांति रेखा भी वो कलाकार हैं जिन पर फिल्माए
गए गीत जीवंत हो उठते हैं।



गीत के बोल:

मन क्यूँ बहका री बहका
मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को
बेला महका हो
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
किसने बंसी बजायी आधी रात को
हो किसने बंसी बजायी आधी रात को
जिसने पलकें हो
जिसने पलकें चुराई आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को

झांझर झमके सुन झमके
हो झांझर झमके सुन झमके
झांझर झमके सुन झमके
आधी रात को ओ ओ ओ
उसको टोको ना रोको, रोको ना टोको,
टोको ना रोको आधी रात को
हो लाज लगे री लागे आधी रात को
लाज लगे री लागे आधी रात को
देना सिन्दूर को सौंप आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को

बात कहते बने क्या आधी रात को
आँख खोलेगी बात आधी रात को
बात कहते बने क्या आधी रात को
आँख खोलेगी बात आधी रात को
हमने पी चांदनी आधी रात को
हो हो हमने पी चांदनी आधी रात को
चाँद आँखों में आया आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को

रात गुनती रहेगी आधी बात को
आधी बातों की पीर आधी रात को
रात गुनती रहेगी आधी बात को
आधी बातों की पीर आधी रात को
बात पूरी है कैसे आधी रात को
रात होती हो
रात होती शुरू है आधी रात को
मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका
बेला महका री महका
मन क्यूँ बहका
बेला महका
मन क्यूँ बहका
बेला महका
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Man kyun behka ri-Utsav 1984

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