तेरी आँखों के सिवा दुनिया में(लता) -चिराग १९६९
हमेशा ही कुछ अर्थपूर्ण संवाद ही करता है.उसकी लय और सन्देश को
पकड़ पाना आसान नहीं होता हर बार. प्रस्तुत गीत में आँखों के बारे
में कुछ कहा गया है. कुछ क्या, बहुत कुछ अहिस्ता से कह दिया गया है.
आज की पीढ़ी के लिए ये अनूठा हो सकता है और नहीं भी. उसे सपाट
सीधे शब्दों में कहने सुनने की आदत है.
नयी पीढ़ी के गीतकार भी समय के हिसाब से वही लिखते हैं जो जनता
को हजमहो जाए. पुराने समय में जो विचार मंथन होता था गीत निर्माण
में उसकी गुंजाईश अब कम हो चली है.
आइये गीत सुनते हैं, संवाद ज़ारी रहेगा आगे के पृष्ठों पर.
फिल्म: चिराग
गीतकार: मजरूह सुल्तानपुरी
संगीतकार: मदन मोहन
गायिका: लता मंगेशकर
गीत के बोल:
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये हों कहीं इनका साया मेरे दिल से जाता नहीं
इनके सिवा अब तो कुछ भी नज़र मुझको आता नहीं
ये हों कहीं इनका साया मेरे दिल से जाता नहीं
इनके सिवा अब तो कुछ भी नज़र मुझको आता नहीं
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ठोकर जहाँ मैने खाई, इन्होंने पुकारा मुझे
ये हमसफ़र हैं तो काफ़ी है, इनका सहारा मुझे
ठोकर जहाँ मैने खाई, इन्होंने पुकारा मुझे
ये हमसफ़र हैं तो काफ़ी है, इनका सहारा मुझे
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
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Teri ankhon ke siwa duniya mein(Lata)-Chirag 1969
Artists-Suni Dutt, Asha Parekh
1 comments:
Beautiful
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