हमसे का भूल हुई- जनता हवालदार १९७९
की हदें पार कीं । इसके बोल और संगीत बराबर के जिम्मेदार
इसको प्रसिद्धि दिलाने में। बोल हैं मजरूह के और संगीत है
राजेश रोशन का। ऐसा सुना जाता है कि राजेश खन्ना भी
एक बार धोखा खा गए और उन्होंने मान लिया था कि ये गाना
रफी ने गाया है। यूँ भी अनवर की आवाज़ रफी की आवाज़ के सबसे
नज़दीक है। यू ट्यूब पर जो विडियो है उसमे साउंड क्वालिटी
थोडी ख़राब है।
गाने के बोल:
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
दिल किसी का न दुखे हमने बस इतना चाहा
पाप से दूर रहे झूठ से बचना चाहा
पाप से दूर रहे झूठ से बचना चाहा
उसका बदला ये मिला उलटी छुरी हमपे चली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
हमपे इलज़ाम ये है चोर को क्यूँ चोर कहा
क्यूँ सही बात कही काहे न कुछ और कहा
क्यूँ सही बात कही काहे न कुछ और कहा
ये है इनसाफ़ तेरा वाह रे दाता की गली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
अब तो इमान धरम की कोई कीमत ही नहीं
जैसे सच बोलने वालों की ज़रूरत ही नहीं
जैसे सच बोलने वालों की ज़रूरत ही नहीं
ऐसी दुनिया से तो दुनिया तेरी वीरान भली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
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Hamse kaa bhool hui-Janta Hawaldar 1979
Artists: Rajesh Khanna
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