मैं न भूलूंगा-रोटी कपड़ा और मकान १९७४
प्रस्तुत है। एक गाने से दूसरा गाना याद आ जाता है और ये कड़ी
से कड़ी और दाल से दाल जुडती चली जाती है.
रस्मों और कसमों पर बहुत से गीत बने हैं हिन्दी फिल्मों के लिए।
कुछ को ज्यादा प्रसिद्धि मिली, उसमे से एक है १९७४ की फ़िल्म
रोटी कपड़ा और मकान का मुकेश और लता का गाया हुआ
ये गीत। फ़िल्म में ये गीत दो बार आता है। ये पहला संस्करण है ।
गीत में इतनी बार भूलूंगा, भूलूंगी दोहराया गया है की इसको
भूलने का सवाल ही नहीं उठता. ;) गाना थोड़ा अलग हट के है
और इसको देखने में भी आनंद आता है। इस गीत को लिखा है
संतोष आनंद ने और धुन बनाई है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने।
गाने के बोल:
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
इन रस्मों को, इन कसमों को
इन रिश्ते नातों को
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
इन रस्मों को, इन कसमों को
इन रिश्ते नातों को
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
चलो जग को भूलें
ओ, चलो जग को भूलें
ख्यालों में झूलें
बहारों में डोलें
बहारों में डोलें
सितारों को छू लें
बहारों में डोलें
सितारों को छू लें
आ तेरी मैं मांग सवारूँ
तू दुल्हन बन जा
मांग से जो दुल्हन का रिश्ता
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
समय की धारा में
ओ, समय की धारा में
उमर बह जानी है
जो घड़ी जी लेंगे
जो घड़ी जी लेंगे
वोही रह जानी है
मैं बन जाऊं साँस आखरी तू जीवन बन जा
जीवन से साँसों का रिश्ता
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
बरसता सावन हो
महकता आँगन हो
कभी दिल दूल्हा हो
कभी दिल दुल्हन हो
गगन बनकर झूमे
पवन बनकर घूमें
चलो राहें मोडें
कभी न संग छोडें
कहीं पे छुप जाना है
नज़र नहीं आना है
कहीं पे बस जायेंगे
ये दिन कट जायेंगे
अरे क्या बात चली
वो देखो रात ढली
ये बातें चलती रहें
ये रातें ढलती रहें
मैं मन को मन्दिर कर डालूँ
तू पूजन बन जा
मन्दिर से पूजा का रिश्ता
मैं न भूलूंगी
मैं न फूलूंगा
मैं न फूलूंगी
इन रस्मों को, इन कसमों को
इन रिश्ते नातों को
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
मैं न भूलूंगा
मैं न भूलूंगी
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Main na bhoolunga-Roti kapda aur makaan 1974
Artists: Manoj Kumar, Zeenat Aman
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