दिल को देखो चेहरा ना देखो-सच्चा झूठा १९७०
इस गीत के शुरुआती हिस्से को देखकर आपको दलेर मेहँदी की
नाचने की स्टाइल याद आ जाए तो समझिये की आप वाकई
फिल्मों और टीवी के शौकीन हैं।
ये गीत है हिट फ़िल्म सच्चा झूठा का। बेहद लोकप्रिय गीत।
इसमे एक संदेश है। इसको प्रेरणादायक गीत भी कह सकते हैं।
इधर एक फेंसी ड्रेस जैसा कुछ आयोजन है जिसमे हमारा हीरो
गा रहा है।
गाने के बोल:
दिल को देखो, चेहरा न देखो
दिल को देखो, चेहरा न देखो
चेहरों ने लाखों को लूटा
हाँ, दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल को देखो, चेहरा न देखो
चेहरों ने लाखों को लूटा
हाँ, दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
जो अपनी सच्ची सूरत दिखा दें
ऐसे नहीं दुनियावाले
सब ने ही अपने चेहरों के आगे
झूठ के परदे हैं डाले
मीठी होंठों पे बात, दिल में रहती है घात
दिल का होंठों से नाता ही झूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल को देखो, चेहरा न देखो
तन से तो आज़ाद हम हो गए हैं
मन से गई न गुलामी
परदेसी भाषा और वेश को ही
देते हैं अब तक सलामी
भूल कर अपना रंग
सीखे औरों का ढंग
अपनेपन का चलन हमसे छूटा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल को देखो, चेहरा न देखो
मर्ज़ी तुम्हारी तुम कुछ भी समझो
जो हम हैं वो हम ही जाने
रंग रूप देखें तो देखें ज़माना
हम प्यार के हैं दीवाने
पूजे धन को संसार
हमें मन से है प्यार
धन किसी बात पर हमसे रूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल को देखो, चेहरा न देखो
चेहरों ने लाखों को लूटा
है, दिल सच्चा और चेहरा झूठा
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
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