हो के मजबूर मुझे-हकीकत १९६४
४ गायकों ने गाया है-तलत महमूद, रफी, मन्ना डे, और भूपेंद्र ।
चेतन आनंद द्वारा बनाई गई फ़िल्म बहुत सराही गई, आम जनता,
सिपाहियों और फ़िल्म समीक्षकों द्वारा। कैफ़ी आज़मी ने इस यादगार
गीत के बोल लिखे हैं और धुन है मदन मोहन की।
चार गायकों वाला ये गीत दुर्लभ है अपने आप में. इन चारों ने शायद
ही किसी और गीत को गाया हो साथ में. गीत में भूपिंदर परदे पर अपना
गीत स्वयं गा रहे हैं. साथ में बलराज साहनी, संजय खान सुधीर वगैरह
दिखलाई देते हैं. भरे से चेहरे वाला अभिनेता वो है जिसने कुछ फिल्मों
में पुलिस इन्स्पेक्टर की भूमिका निभाई है उसका नाम याद आते ही
आपको बतलाया जायेगा.
गाने के बोल:
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
हो के मजबूर मुझे
भूपेंद्र : दिल ने ऐसे ही कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
दिल ने ऐसे ही कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क़ आँखों ने पिये और न बहाए होंगे
बन्द कमरे में जो खत मेरे जलाए होंगे
एक इक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा
हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
हो के मजबूर मुझे
रफ़ी: उसने घबरा के नज़र लाख बचाई होगी
उसने घबरा के नज़र लाख बचाई होगी
दिल की लुटती हुई दुनिया नज़र आई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी, हाय
हर तरफ़ मुझको
हर तरफ़ मुझको तड़पता हुआ पाया होगा
हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
हो के मजबूर मुझे
तलत: छेड़ की बात पे अरमाँ मचल आए होंगे
ग़म दिखावे की हँसी ने न छुपाए होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
सर न काँधे से
सर न काँधे से सहेली के उठाया होगा
हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
हो के मजबूर मुझे
मन्ना डे: ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी
बिजली नज़रों ने कई दिन न गिराई होगी
रँग चहरे पे कई रोज़ न आया होगा
हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
हो के मजबूर मुझे
..................................................................
Ho ke majboor-Haqeeqat 1964
Artists-Sudhir, Balraj Sahni, Sanjay Khan, Bhupinder
0 comments:
Post a Comment