May 3, 2009

बिखरा के जुल्फें चमन में न जाना-नजराना १९६१

सुनते हैं लता मंगेशकर और मुकेश का गाया हुआ एक मधुर
युगल गीत। इसके संगीतकार रवि हैं। उन्होंने शंकर जयकिशन
के संगीत वाला आनंद देने की भरपूर कोशिश करी है।

परदे पर जो कलाकार हैं वो हैं राज कपूर और वैजयंतीमाला ।
ऐसे प्रश्नोत्तर वाले गीत मुझे बहुत पसंद हैं इसकी वजह स्कूल के
मास्टर और मास्टरनी की याद आना। गीत है राजेंद्र कृष्ण का ।




गाने के बोल:

बिखरा के जुल्फें चमन में न जाना
क्यूँ
इसलिए
कि,
शर्मा न जाएँ फूलों के साए

मोहब्बत के नगमे तुम भी न गाना
क्यूँ
इसलिए
कि,
भंवरा तुम्हारी हँसी न उड़ाए

मोहब्बत की भँवरे को पहचान क्या
ये कलियों से पूछो हमें क्या पता
मोहब्बत की भँवरे को पहचान क्या
ये कलियों से पूछो हमें क्या पता

सौदाई होगा
हम तो नहीं हैं
कहीं सीख लेना इसकी अदा
जुबां पे ऐसी बात कभी न लाना
क्यूँ
इसलिए
कि,
दुनिया से रस्म ऐ वफ़ा मिट न जाए

मोहब्बत के नगमे तुम भी न गाना
क्यूँ
इसलिए
कि,
भंवरा तुम्हारी हँसी न उड़ाए

कहो साथ दोगे कहाँ तक मेरा
वहां तक जहाँ आसमान झुक रहा
कहो साथ दोगे कहाँ तक मेरा
वहां तक जहाँ आसमान झुक रहा

बोलो चलोगी
जो तुम ले चलोगी
कहीं राह में हो न जाना हुदा
मेरा प्यार देखेगा सारा ज़माना
क्यूँ
इसलिए
कि,
वादे किए और करके निभाए

बिखरा के जुल्फें चमन में न जाना
क्यूँ
इसलिए
कि,
शर्मा न जाएँ फूलों के साए
.............................................................
Bikhra ke zulfen chaman mein-Nazrana 1961

Artists: Raj Kapoor, Vaijayantimala

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