May 5, 2009

आवारा हूँ-आवारा १९५१

राज कपूर ने जनता को बताया कि बनियान पर कोट पहनना
अच्छा फैशन हो सकता है। आवारा फिल्म के इस गीत को आप
बिना संगीत के आसानी से नहीं गा सकते। आसान सी सुनाई पढने
वाली इस धुन को बहुत प्रसिद्धि मिली। फिल्म ने रूस में भी
तहलका मचाया और विशेषकर ये गीत वहां बहुत बजा। गायक
हैं मुकेश, गीतकार शैलेन्द्र हैं और धुन है शंकर जयकिशन की।
तुर्की की भाषा वाले डायलोग वाली फिल्म का एक टुकड़ा देखिये-



गीत के बोल:

आवारा हूँ, आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ
आवारा हूँ, आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ
आवारा हूँ, आवारा हूँ

घरबार नहीं, संसार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं
उसपार किसी से मिलने का इक़रार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं
सुनसान नगर अन्जान डगर का प्यारा हूँ

आवारा हूँ, आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ
आवारा हूँ

आबाद नहीं बरबाद सही
गाता हूँ खुशी के गीत मगर
गाता हूँ खुशी के गीत मगर
ज़ख्मों से भरा सीना है मेरा
हंसती है मगर ये मस्त नज़र
दुनिया आ आ
दुनिया में तेरे तीर का या तकदीर का मारा हूँ

आवारा हूँ, आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ
आवारा हूँ, आवारा हूँ
आवारा हूँ

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