नहीं नहीं जाना नहीं-जिंदादिल १९७५
सन १९७५ में शोले की आंधी ऐसी चली कि बाकी फिल्मों
की चर्चा लगभग ना के बराबर होती। एक फिल्म जरूर मैंने
लता का गीत सुनने के बाद देखी वो थी जिंदादिल। रियल
लाइफ और रील लाइफ में जब समानता हो तब बनावटीपन
गायब हो जाता है। उन दिनों में ऋषि कपूर और नीतू सिंह के
बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था। ७५ में ही एक और फिल्म आई
थी इस जोड़ी की जो अच्छी चली सिनेमा घरों में-खेल खेल में।
लोग कहते हैं उनकी ओन स्क्रीन केमिस्ट्री जबरदस्त थी। मैं तो
कहूँगा ऑर्गनिक, इनोर्गनिक और फिजिकल केमिस्ट्री सभी
जबरदस्त है इस गीत में। लता का गाया ये गीत मुझे पसंद है।
इसके बोल लिखे हैं वर्मा मलिक ने और धुन बनाई है
लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने।
गीत के बोल:
नहीं नहीं जाना नहीं
अभी नहीं जाना नहीं
अभी तो दिल को मिले सहारे हैं
सहारे हैं तुम्हारे हैं
अभी नहीं जाना नहीं
नहीं नहीं जाना नहीं
अजी हम भी तो प्यार के मारे हैं
तुम्हारे हैं बेचारे हैं
नहीं नहीं जाना नहीं
अभी नहीं जाना नहीं
कलियों का प्यार छू ले,
शबनम की झोलियों में
कलियों का प्यार छू ले,
शबनम की झोलियों में
दुल्हन बनी बहार है
खुशियों की डोलियों में
कितने खिले नज़ारे हैं
नज़रों के इशारे हैं
नहीं नहीं जाना नहीं
अभी नहीं जाना नहीं
ऑंखें तरस गयीं हैं
अब तो करार दे दे
ऑंखें तरस गयीं हैं
अब तो करार दे दे
मैं जिंदगी बना लूं
थोडा सा प्यार दे दे
दिल के दर्द कुंवारे हैं
कुंवारे हैं तुम्हारे हैं
नहीं नहीं जाना नहीं
अभी नहीं जाना नहीं
सोये हुए नसीब को
आ के जगा दिया है
सोये हुए नसीब को
आ के जगा दिया है
फिर ज़िन्दगी को तूने
जीना सिखा दिया है
तुम जीते हम हारे
हारे हैं तुम्हारे हैं
नहीं नहीं जाना नहीं
अभी नहीं जाना नहीं
अभी तो दिल को मिले सहारे हैं
सहारे हैं तुम्हारे हैं
नहीं नहीं जाना नहीं
अभी नहीं जाना नहीं
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