ए मेरे हमसफ़र- क़यामत से क़यामत तक १९८८
क़यामत से क़यामत तक। बिलकुल नए चेहरे और नए गायक।
मजरूह सुल्तानपुरी के बोलों को नए संगीतकारों ने सुरों में पिरोया
है नयी जोड़ी-आनंद मिलिंद ने। ये गीत आज भी रेडियो चैनल पर
सुनाई दे जाता है कभी कभी। आमिर खान और जूही चावला
पर ये गीत फिल्माया गया है और इसे गाया है उदित नारायण
एवं अलका याग्निक ने। बार बार वही प्यार इश्क और मोहब्बत
शब्दों का इस्तेमाल होने के बावजूद हर गीत नयी रेसिपी की तरह
लगता है। है ना जी ;)
गीत के बोल:
ऐ मेरे हमसफ़र, इक ज़रा इन्तज़ार
सुन सदाएं, दे रही है, मंज़िल प्यार की
ऐ मेरे हमसफ़र, इक ज़रा इन्तज़ार
सुन सदाएं, दे रही है, मंज़िल प्यार की
अब है जुदाई का मौसम, दो पल का मेहमान
कैसे ना जाएगा अंधेरा, क्यूँ ना थमेगा तूफ़ान
अब है जुदाई का मौसम, दो पल का मेहमान
कैसे ना जाएगा अंधेरा, क्यूँ ना थमेगा तूफ़ान
कैसे ना मिलेगी, मंजिल प्यार की
ऐ मेरे हमसफ़र, इक ज़रा इन्तज़ार
सुन सदाएं, दे रही है, मंज़िल प्यार की
प्यार ने जहाँ पे रखा है, झूम के कदम इक बार
वहीं से खुला है कोई रस्ता, वहीं से गिरी है दीवार
प्यार ने जहाँ पे रखा है, झूम के कदम इक बार
वहीं से खुला है कोई रस्ता, वहीं से गिरी है दीवार
रोके कब रुकी है, मंज़िल प्यार की
ऐ मेरे हमसफ़र, इक ज़रा इन्तज़ार
सुन सदाएं, दे रही है, मंज़िल प्यार की
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Ae mere hamsafar-QSQT 1988
Artists-Aamir Khan, Juhi Chawla
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