ये शाम की तन्हाईयाँ -आह १९५३
शंकर जयकिशन के साथ लता ने कई नायब तोहफे दिए हैं
संगीत प्रेमियों को। एक गीत है फ़िल्म आह का-"ये शाम की तन्हाईयाँ "।
दर्द भरा गीत है ये इसको सुनकर शंकर जयकिशन के
संगीत की गुणवत्ता का पता आसानी से चल जाता है।
लता के गाये बेहतरीन दर्द भरे नगमों में से एक है यह गीत ।
हिरोइन नर्गिस हैं ऊपर ये फिल्माया गया है । फ़िल्म ज्यादा
नहीं चली थी।
गीतकार: शैलेन्द्र
संगीतकार: शंकर जयकिशन
गायिका: लता मंगेशकर
0 comments:
Post a Comment