तुम को देखा तो ये ख़याल आया-साथ साथ १९८२
फ़िल्म संगीत में गजलों का दौर एक बार फ़िर से ८० के दशक के
शुरुआती हिस्से में चालू हुआ। जगजीत सिंह को इस फ़िल्म में
बहुत से गीत गाने का मौका मिला। बोल जावेद अख्तर के हैं और
संगीत कुलदीप सिंह का। फारूख शेख और दीप्ति नवल अभिनीत इस
फ़िल्म के गीत बहुत सुने गए । ज़िन्दगी को धुप और प्रेमिका को
घना साया बतलाने की ये दास्तान आपने पहले शायद ही किसी
गीत में सुनी हो !
गाने के बोल:
तुम को देखा तो ये ख़याल आया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया
तुम को देखा तो ये ख़याल आया
आज फिर दिलने एक तमन्ना की
आज फिर दिलने एक तमन्ना की
आज फिर दिलको हमने समझाया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया...
तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया, हमने क्या पाया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया...
हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया...
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