कजरा लगा के -जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली १९७१
सौंदर्य का एक हिस्सा कजरा गीतकारों को बहुत पसंद रहा है।
आज आपके लिए अलग अलग गीतकारों के कजरे प्रस्तुत हैं।
इनमे से एक है वी शांताराम द्वारा निर्मित फ़िल्म "जल बिन मछली
नृत्य बिन बिजली" का एक गीत जो लता मंगेशकर ने गाया है।
इसके बोल लिखे हैं मजरूह सुल्तानपुरी ने। मजरूह साहब ने
इस गीत को सुंदर बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अभिनेत्री ने
स्किन-टाईट वस्त्र पहन और हाथ बाँध के असंभव सा नृत्य किया है।
अगर अभिनेत्री संध्या जिम्नास्टिक्स में देश का प्रतिनिधित्व करती तो
शायद एक आध स्वर्ण पदक ओलिम्पिक में जरूर ले आती ।
जैसा कमरतोड़ नृत्य शांताराम की फिल्मों में आपको मिलेगा वैसा
किसी और निर्देशक के बस की बात नहीं। हरे रंग का सांप और सफ़ेद रंग
का मोर निर्देशक की अच्छी कल्पना है।
गाने के बोल:
कजरा लगा के
रे बिंदिया सजा के
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
कजरा लगा के
रे बिंदिया सजा के
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
लहर ने की चांदी की मधुर तान
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
हो, कजरा लगा के
रे बिंदिया सजा के
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
पी तुम न बोलोगे
यूँही तुम न बोलोगे
न बोलो न बोलो
हम संग न, संग न
हम संग न दोलोगे
हम संग न डोलोगे न डोलो न डोलो
मैं भी बोलूंगी नहीं
तुम संग डोलूँगी नहीं
करूं पर मैं क्या बस में नहीं जिया
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
हो, कजरा लगा के
रे बिंदिया सजा के
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
लो मैं ही हारी रे
ये लो मैं ही हारी रे हारी रे हारी रे
भाई तुमपे, तुमपे
भाई तुमपे वारी रे
सैयां तुमपे वारी रे वारी रे वारी रे
ऐ जी अब तो बोल दो
मान जाओ अँखियाँ खोल दो
बन में जो गोरे गरवा लागो मोरे
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
हो, कजरा लगा के
रे बिंदिया सजा के
ओ आई मैं तो आई रे आई
मोहे मिलन धुन पिया की
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Kajra laga ke-Jal bin macchli nritya bin bijli 1971
Artist-Sanshya
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