चुनरी संभाल गोरी-बहारों के सपने १९६७
एक गाना थोड़े से विशेष बोल लगाके कैसे आकर्षक बनाया
जाता है इसका एक अच्छा उदाहरण। इसमें शुरू में जो
"हा आ" के बोल डाले गए हैं उससे ये थोडा अलग हटके हो
गया है । इसी वजह से इसको सुननेवाले ज्यादा पसंद करते
हैं। फिल्म है बहारों के सपने और गायक स्वर हैं लता और
मन्ना डे के । फिल्म आई थी १९६७ में जिसमे राजेश खन्ना
हीरो हैं और उनकी नायिका है आशा पारेख।
गीत के बोल:
चुनरी सम्भाल गोरी, उड़ी चली जाए रे
ओये,चुनरी सम्भाल गोरी, उड़ी चली जाए रे
मार न दे डंक कहीं, नज़र कोई हाय
चुनरी सम्भाल गोरी, उड़ी चली जाए रे
मार न दे डंक कहीं, नज़र कोई हाय
देख देख पग न फिसल जाए रे
अर रा रा रा रा रा, हा... आ...
चुनरी सम्भाल,हा... आ...
उड़ी चली जाए,हा... आ...
मार न दे डंक,हा... आ...
ला ली ला, ला ली ला,ला ली ला
आ, अऊ, रु रु रु रु रु रु
रु रु रु रु रु रु, रु रु रु रु
फिसलें नहीं चल के, कभी दुख की डगर पे
ठोकर लगे हँस दें, हम बसने वाले, दिल के नगर के, हाय हाय
फिसलें नहीं चल के, कभी दुख की डगर पे
ठोकर लगे हँस दें, हम बसने वाले, दिल के नगर के
अरे, हर कदम बहक के सम्भल जाए रे!
अर रा रा रा रा रा, हा... आ...
चुनरी सम्भाल,हा... आ...
उड़ी चली जाए,हा... आ...
मार न दे डंक,हा... आ...
किरणें नहीं अपनी, तो है बाहों का सहारा
दीपक नहीं जिन में, उन गलियों में है हमसे उजाला, होए होए
किरणें नहीं अपनी, तो है बाहों का सहारा
दीपक नहीं जिन में, उन गलियों में है हमसे उजाला
अरे, भूल ही से चाँदनी खिल जाए रे!
अर रा रा रा रा रा, हा... आ...
चुनरी सम्भाल,हा... आ...
उड़ी चली जाए,हा... आ...
मार न दे डंक,हा... आ...
पल छिन, पिया पल छिन, अँखियों का अंधेरा
रैना नहीं अपनी, पर अपना होगा कल का सवेरा, हाय हाय
पल छिन पिया पल छिन, अँखियों का अंधेरा
रैना नहीं अपनी, पर अपना होगा कल का सवेरा
अरे, रैन कौन सी जो न ढल जाए रे!
अर रा रा रा रा रा, हा... आ...
चुनरी सम्भाल,हा... आ...
उड़ी चली जाए,हा... आ...
मार न दे डंक,हा... आ...
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