चुप चुप खड़े हो-बड़ी बहन १९४९
"चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है" फ़िल्म बड़ी बहन से।
फ़िल्म में अपने ज़माने की दो मशहूर अभिनेत्रियाँ नूरजहाँ और सुरैया
हैं, साथ में रहमान बतौर हीरो हैं। इस गीत के रचनाकार है
राजेंद्र कृष्ण और संगीत दिया है हुस्नलाल भगतराम ने।
अपने ज़माने के लोकप्रिय गानों में इसका शुमार होता था।
ये गीत लता और प्रेमलता का युगल गीत है। प्रेमलता ने हिन्दी फिल्मों
में बहुत कम गीत गाये हैं। ये उनके हिट गीतों में से एक है।
१९४९ में एक और फ़िल्म आई थी 'नदिया के पार जिसमें
ललिता देउलकर का गाया गाना था-
"मोरे राजा हो ले चल नदिया के पार" । नदिया के पार के संगीतकार
चितलकर रामचंद्र हैं। तो साहब ,ये हैं कुछ १९४९ के चर्चित नगमे।
गाने के बोल :
चुप-चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है
पहली मुलाक़ात है जी पहली मुलाक़ात है
चुप-चुप खड़े हो ...
साजन की बात पर, गुस्सा जो आ गया
ज़ुल्फ़ों का बादल, गालों पे छा गया
अभी-अभी दिन था अभी-अभी रात है
पहली मुलाक़ात है जी पहली मुलाक़ात है
चुप-चुप खड़े हो ...
पहली मुलाक़ात में, बात ऐसी हो गई
राजा भी खो गया, रानी भी खो गई
दोनों को न पता चला मज़े की ये बात है
पहली मुलाक़ात है जी पहली मुलाक़ात है
चुप-चुप खड़े हो ...
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Chup chup khade ho-Badi Behan 1949
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