आँखों ही आँखों में इशारा हो गया-सी.आई .डी.
मोहम्मद रफी और गीता दत्त का गाया ये युगल गीत फ़िल्म
सी.आई .डी. से है जो सन १९५६ में रिलीज़ हुई थी। देव आनंद और
शकीला इस फ़िल्म में मुख्य कलाकार हैं जिन पर ये फिल्माया गया है ।
राज खोसला एक नामचीन डाइरेक्टर रहे हैं जिन्होंने इस फ़िल्म को
निर्देशित किया था। नारी सुलभ अदाओं से परिपूर्ण इस गाने को देखना
भी एक सुखद अनुभव है। आप भी आनंद उठाइए । अंतरे गीता दत्त ने
गाये हैं और मुखड़ा रफी ने। केवल अंत में एक बार गीता ने मुखड़ा
दोहराया है। संगीतकार ओ पी नय्यर की सबसे सफल फिल्मों में
से एक है ये ।
गाने के बोल:
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया
बैठे बैठे जीने का सहारा हो गया
आँखों ही आँखों में..........
गाते हो गीत क्यूँ, दिल पे क्यूँ हाथ है
खोये हो किसलिए, ऐसी क्या बात है
ये हाल कबसे तुम्हारा हो गया
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया
बैठे बैठे जीने का सहारा हो गया
चलते हो झूमके, बदली है चाल भी
नैनों में रंग हैं, बिखरे हैं बाल भी
किस दिलरुबा का नज़ारा हो गया
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया
बैठे बैठे जीने का सहारा हो गया
आँखों ही आँखों में..........
अपना वो ज़ोर है, अपना वो शोर है
हमको है सब पता, दिल में जो चोर है
ये चोर कैसे गवारा हो गया
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया
बैठे बैठे जीने का सहारा हो गया
आँखों ही आँखों में..........
कैसा ये प्यार है, कैसा ये नाज़ है
हम भी तो कुछ सुनें, हमसे क्या राज़ है
अच्छा तो ये दिल हमारा हो गया
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया
बैठे बैठे जीने का सहारा हो गया
आँखों ही आँखों में..........
0 comments:
Post a Comment