इक दिन बिक जाएगा-धरम करम १९७५
ये गीत सही मायने में "मेरा नाम जोकर" के गीतों का extension है।
इस गीत तक राज कपूर उतने फुर्तीले तो नहीं बचे थे मगर सिनेमा की
शूटिंग के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली रेल पे चलने वाली ट्रोली के
जरिये वे अपना प्रभाव छोड़ पाने में सफल रहे हैं। ये गीत मुकेश के अंतिम
गीतों में से एक है और यादगार गीत माना जाता है।
फ़िल्म :धरम-करम
वर्ष:१९७५
गायक :मुकेश
गीतकार :मजरूह सुल्तानपुरी
संगीतकार : आर. डी. बर्मन
कलाकार: राज कपूर
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गाने के बोल:
इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
दूजे के होंठों को, देकर अपने गीत
कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
ला ला ललल्लल्ला
अनहोनी पथ में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए
अनहोनी पथ में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए
ये बिरहा ये दूरी, दो पल की मजबूरी
फिर कोई दिलवाला काहे को घबराये, तरम्पम
धारा, जो बहती है, मिल के रहती है
बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी
थाम के तेरे मेरे मन की डोरी
परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी
थाम के तेरे मेरे मन की डोरी
ये डोरी ना छूटे, ये बन्धन ना टूटे
भोर होने वाली है अब रैना है थोड़ी, तरम्पम,
सर को झुकाए तू, बैठा क्या है यार
गोरी से नैना जोड़, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
ला ला ललल्लल्ला
ला ला ललल्लल्ला
ला ला ललल्लल्ला
ला ला ललल्लल्ला
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