तन मन तेरे रंग रंगूँगी -अर्चना १९७३
चाहे बोलों के हिसाब से हो, गायकी के हिसाब से कह लो , या फ़िर
धुन के हिसाब से, इतने डूब के गाये हुए गाने बहुत कम हैं हिन्दी फ़िल्म
संगीत के खजाने में। शंकर जयकिशन ने लता मंगेह्कर से "हाँ"
शब्द को बड़े ही दिलकश अंदाज़ से गवाया है कई गानों में। इस बारे
में आगे पढ़ते रहिये। एक पत्नी द्वारा अपने पति के लिए इतना समर्पण और
भक्ति भाव शायद कुछ ही गानों में देखने को मिला है। इन सब के लिए बोल
भी जिम्मेदार हैं गाने के, जो कवि नीरज की लेखनी से प्रकट हुए । संगीत
है शंकर जयकिशन का। फ़िल्म आई थी सन १९७३ में और इसमे माला सिन्हा
मुख्य अभिनेत्री हैं। माला सिन्हा की बतौर हिरोइन कुछ आखिरी फिल्मों में
से एक। संजीव कुमार का जिक्र करना हम भूल गए। वो इस फ़िल्म के हीरो हैं।
गाने के बोल:
तन मन तेरे रंग रंगूँगी
छाया बन कर संग चलूंगी
सेवा करूंगी, अंग लगूंगी,
अर्चना मैं तेरी साजना
हाँ आं आं ................
तन मन तेरे रंग रंगूँगी
छाया बन कर संग चलूंगी
सेवा करूंगी, अंग लगूंगी,
अर्चना मैं तेरी साजना
हाँ आं आं ................
तन मन तेरे रंग रंगूँगी
जनम जनम तेरे बिना
नैना नहीं सोये
जनम जनम तेरे बिना
नैना नहीं सोये
घड़ी घड़ी, सपने तेरे
पलकों ने पिरोये
तू है मेरे जीवन की साधना
हाँ आं आं ................
तन मन तेरे रंग रंगूँगी
छाया बन कर संग चलूंगी
सेवा करूंगी, अंग लगूंगी,
अर्चना मैं तेरी साजना
हाँ आं आं ................
प्यार तेरा कुमकुम है
बाहें तेरी माला
प्यार तेरा कुमकुम है
बाहें तेरी माला
प्राण मेरा पुजारी तेरा
तन है शिवाला
ज़िन्दगी है तेरी प्रार्थना
हाँ आं आं ................
तन मन तेरे रंग रंगूँगी
छाया बन कर संग चलूंगी
सेवा करूंगी, अंग लगूंगी,
अर्चना मैं तेरी साजना
हाँ आं आं ................
झूम उठा अंगना मेरा
पड़ी नज़र तेरी
झूम उठा अंगना मेरा
पड़ी नज़र तेरी
राम करे लागे तुझे सारी उमर मेरी
दुनिया रूठे तू न रूठना
हाँ आं आं ................
तन मन तेरे रंग रंगूँगी
छाया बन कर संग चलूंगी
सेवा करूंगी, अंग लगूंगी,
अर्चना मैं तेरी साजना
हाँ आं आं ................
तन मन तेरे रंग रंगूँगी
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