हिंदी फिल्मों में बरसात वाले गाने ३ भीगी भीगी रातों में-अजनबी १९७२
ये युवाओं की दृष्टि के बाद होने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर कह
रहा हूँ। राजेश खन्ना और जीनत अमान पर फिल्माया गया ये गीत
गुलशन नंदा की कहानी पर बनी फ़िल्म अजनबी में है। शादी के बाद
अलगाव होने के पहले नायक नायिका इस गीत को गा रहे हैं।
'पानी के रेले' और 'सावन के मेले ' की तुकबंदी इस गाने की विशेषता
है। जैसा कि हिन्दी फ़िल्म सिनेमा के दर्शक जानते ही होंगे , बिजली
की गर्जना सुनकर हिरोइन हीरो से लिपट जाया करती है, इस फार्मूले
का भी इमानदारी से इस्तेमाल हुआ है इस गाने में। बोल आनंद बक्षी
के हैं और धुन आर. डी. बर्मन की।
गाने के बोल:
किशोर: भीगी भीगी रातों में, मीठी मीठी बातों में
ऐसी बरसातो में, कैसा लगता है?
लता: ऐसा लगता है तुम बन के बादल,
मेरे बदन को भिगो के मुझे, छेड़ रहे हो ओ
छेड़ रहे हो
ऐसा लगता है तुम बन के बादल,
मेरे बदन को भिगो के मुझे, छेड़ रहे हो ओ
छेड़ रहे हो
लता: अम्बर खेले होली उई माँ
भीगी मेरी चोली, हमजोली, हमजोली
अम्बर खेले होली उई माँ
भीगी मोरी चोली, हमजोली, हमजोली
ओ, पानी के इस रेले में, सावन के इस मेले में
छत पे अकेले में
कैसा लगता है
किशोर: ऐसा लगता है
तू बन के घटा अपने सजन को भिगो के खेल खेल रही हो ओ
खेल रही हो
लता: ऐसा लगता है
तुम बनके बादल मेरे बदन को भिगो के मुझे छेड़ रहे हो हो.
छेड़ रहे हो
किशोर: बरखा से बचा लूँ तुझे
सीने से लगा लूँ
आ छुपा लूं आ छूपा लूँ
बरखा से बचा लूँ तुझे
सीने से लगा लूँ
आ छुपा लूं आ छूपा लूँ
दिल ने पुकारा देखो रुत का इशारा देखो
उफ़ ये नज़ारा देखो
कैसा लगता है, बोलो?
लता: ऐसा लगता है कुछ हो जायेगा
मस्त पवन के ये झोकें सैंया देख रहे हो ओ
देख रहे हो
ऐसा लगता है
तुम बनके बादल मेरे बदन को भिगो के मुझे छेड़ रहे हो हो
छेड़ रहे हो
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Bheegi bheegi raton mein-Ajnabi 1972
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