अजनबी कौन हो तुम-स्वीकार किया मैंने १९८३
उषा खन्ना ने सदा ही समय समय पर हिट गीत बना कर
श्रोताओं और संगीत विशेषज्ञों को अचंभित किया है। फ़िल्म सौतन (१९८०)
के बाद जो उनका एल्बम(एल्बम अर्थात फ़िल्म के पूरे गीत) हिट हुआ
और सराहा गया वो है स्वीकार किया मैंने(१९८३) । ऊर्जावान संगीत
निर्देशक हैं वे। उन्होंने सभी विधाओं पर अधिकार से दखल दिया और कामयाब भी
हुईं । आपको याद होगा फ़िल्म दादा का गीत-दिल के टुकड़े टुकड़े करके। येसुदास
को उतनी प्रसिद्धि रवीन्द्र जैन के बनाये ढेरों गीतों द्वारा नहीं मिली जितनी कि
केवल उषा खन्ना के बनाये फ़िल्म दादा के एक गीत से। उस गीत के लिए
येसुदास को पुरस्कार भी मिला। इधर उन्होंने लता मंगेशकर से एक शानदार
गीत गवाया है। इसके बोल नामचीन शायर निदा फाजली के हैं। शायद ये फ़िर
साबित हुआ है कि एक अच्छे गीत के लिए अच्छे बोल होना अति आवश्यक है।
यहाँ अच्छे गीत से तात्पर्य उन गीतों से है जो मर्म को चोट पहुँचने में सक्षम हों
और लंबे समय तक सुने जाने वाले हों। इस गीत में दो संजीदा कलाकार हैं।
शबाना आज़मी और विनोद मेहरा। विनोद मेहरा की खामोशी भी बहुत गहराई
लिए होती थी। कुछ ही ऐसे कलाकार हैं जिनको चुप देखना भी एक सुखद अनुभव
होता है।
गाने के बोल:
अजनबी कौन हो तुम, जबसे तुम्हें देखा है
सारी दुनिया मेरी आँखों में सिमट आई है
अजनबी कौन हो तुम, जबसे तुम्हें देखा है
सारी दुनिया मेरी आँखों में सिमट आई है
तुम तो हर गीत में शामिल थे, तरन्नुम की तरह
तुम मिले हो मुझे फूलों का तबस्सुम बन के
ऐसा लगता है के बरसों से, शमा आज आई है
अजनबी कौन हो तुम...
ख़्वाब का रँग हक़ीक़त में नज़र आया है
दिल में धड़कन की तरह कोई, उतर आया है
आज हर साँस में, शहनाई सी लहराई है
अजनबी कौन हो तुम...
कोई आहट सी, अंधेरों में चमक जाती है
रात आती है तो तन्हाई, महक जाती है
तुम मिले हो या, मोहब्बत ने ग़ज़ल गाई है
अजनबी कौन हो तुम...
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Ajnabi kaun ho tum-Sweekar Kiya Maine 1983
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