Oct 27, 2009

ऐ जान-ए-जिगर - आराम १९५१

कुछ गीत दिल के तारों को झनझना देते हैं। ये उन गीतों में से एक
है। अनिल बिश्वास के संगीत की गुणवत्ता का अंदाजा सहज ही हो
जाता है। मुकेश जैसे सीधे और सरल गायक से भी उन्होंने सरल
बोलों पर एक सरल धुन गवाकर गीत को अमर बना दिया। इस
खूबसूरत गीत के बोल लिखे हैं राजेंद्र कृष्ण ने। आप मुझे ज़रा उस
कलाकार को पहचानने में मदद करिए जो इसको परदे पर गा रहा है ।
अच्छे गीत बनाने के लिए क्लासिकल का ज्ञान और क्लासिकल
सिंगर्स ही नहीं, वरन, बोल और धुन के सही ट्रीटमेंट और श्रोताओं
की पसंद को ध्यान में रखना अति आवश्यक है । अनिल बिश्वास
हर गायक से उसके अनुरूप सबसे बढ़िया निकलवा लिया करते थे ।
मुकेश के गाये सर्वश्रेष्ठ गीतों में इसको शामिल कर सकते हैं आप।




गाने के बोल:

ऐ जान ऐ जिगर
दिल में सामने आ जा
ऐ जान ऐ जिगर
दिल में सामने आ जा
उजड़ी हुई बस्ती को बसाने आ जा

ऐ जान ऐ जिगर

दिल दर्द से बेताब है
ओ जान ऐ तमन्ना

आराम का, पैगाम सुनाने आ जा
आराम का, पैगाम सुनाने आ जा

ऐ जान ऐ जिगर

परवाना बड़ी देर से,
है आस लगाये

ऐ शम्मा न कर देर
जलाने आ जा
ऐ शम्मा न कर देर
जलने आ जा

ऐ जान ऐ जिगर

तरसी हुई नज़रों को है
दीदार की हसरत

बरखा की तरह
प्यास बुझाने आ जा

ऐ जान ऐ जिगर
दिल में सामने आ जा
ऐ जान ऐ जिगर
दिल में सामने आ जा
उजड़ी हुई बस्ती को बसाने आ जा

ऐ जान ऐ जिगर
..............................
Ae jaan-e-jigar-Aaram 1951

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP