Oct 28, 2009

कभी कभी ऐसा भी तो- वारिस १९६९

आज जाने क्यूँ सारे के सारे सन १९६९ के गीत याद आ-जा रहे हैं।
ऐसा वाकया अक्सर होता है जब मैं बैजू बावरा का गीत सुनता हूँ।
उसके बाद किसी ख़ास युग की बातें जेहन में आ कर उथल पुथल
मचाती हैं।

सुनें एक और मधुर गीत उस दौर से, इसमे आपको युवा जीतेंद्र और
हेमा मालिनी गीत गुनगुनाने दिखेंगे। गीत की ख़ास बात ये है जब
दोनों कार के भीतर होते हैं और कैमरा बाहर तब गीत धीमा सुनाई
देता है। कई फिल्मों में तो हीरो हिरोइन के हवाई जहाज़ में बैठने के
बाद भी गीत उतना ही ज़ोर से सुनाई देता है। ये उस दौर का गीत है
जब जीतेंद्र शरीर को हिला हिला कर अभिनय ज्यादा करते थे और
चेहरे पर भाव लाकर कम। गीत लिखा है राजेंद्र कृष्ण ने जिन्होंने
१९६९ के पहले भी बहुत से गीतों से श्रोताओं को आनंदित किया । ये
राहुल देव बर्मन के साथ उनकी दूसरी फ़िल्म है इसके पहले वे
सुनील दत्त अभिनीत पडोसन फ़िल्म के गीत लिख चुके थे । फिल्म
पड़ोसन मनें आर डी बर्मन का ही संगीत है ।



गाने के बोल:


हो, कभी कभी ऐसा भी तो होता है ज़िन्दगी में
राह में चलते चलते राही खो गए बेखुदी में
कभी कभी ऐसा भी तो होता है ज़िन्दगी में
राह में चलते चलते राही खो गए बेखुदी में

कभी कभी ऐसा भी तो होता है ज़िन्दगी में
राह में चलते चलते राही खो गए बेखुदी में
कभी कभी ऐसा भी तो

किसको पता था चाँदनी जायेगी
हाय , काली घटा छायेगी
किसको पता था चाँदनी जायेगी
हो , काली घटा छायेगी
ठंडी फुहार हमें पास पास लाएगी
हूँ , बात बन जायेगी
दिल की धड़कन सुर बदलेगी ,घड़ी दो घड़ी में

कभी कभी ऐसा भी तो होता है ज़िन्दगी में
राह में चलते चलते राही, खो गए बेखुदी में

कभी कभी ऐसा भी तो

निंदिया के बादल, घिर घिर आए हैं
हो, आंखों पे छाये है
हो, रंग भरे सपनों को, संग संग लाये है
हाँ, जाल बिछाए है
प्यार की खुशबू महक रही है साँसों की रागिनी में
कभी कभी ऐसा भी तो होता है ज़िन्दगी में
राह में चलते चलते राही, खो गए बेखुदी में

कभी कभी ऐसा भी तो होता है ज़िन्दगी में
राह में चलते चलते राही, खो गए बेखुदी में
..............................................................
Kabhi kabhi aisa bhi to-Waris 1969

Artists: Jeetendra, Hema Malini

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