Oct 26, 2009

तुझमे राम मुझमे राम-परदेसी १९५७

अनिल बिश्वास को हिन्दी फ़िल्म संगीत जगह में पितामह का
दर्जा दिया जाता है । इसके कई कारण हैं जिनका जिक्र हम
किश्तों में समय समय पर करते रहेंगे। फिलहाल आप उनके
द्वारा संगीतबद्ध रचना सुनिए जिसको गाया है मन्ना डे ने ।

मन्ना डे ने जो गीत अनिल बिश्वास के लिए गए हैं उनमे कुछ
अलग सी बात है। ये गीत समाज को संदेश देने वाला है जिसको
हम प्रेरणादायक गीत भी कह सकते हैं । गीत के बोल लिखे हैं
प्रेम धवन ने । ये एक बेहद कर्णप्रिय भजन है जिसको आप
कभी भी सुन सकते हैं।




गाने के बोल:

जय जय राम कृष्ण हरि
जय जय राम कृष्ण हरि
जय जय राम कृष्ण हरि
जय जय राम कृष्ण हरि
जय जय राम कृष्ण हरि

राम कहाँ
राम कहाँ
राम कहाँ

तुझ में राम मुझ में राम
सब में राम समाया
सबसे करले प्यार जगत में
कोई नहीं है पराया रे
तुझ में राम
भाई तुझ में राम मुझ में राम, सब में राम समाया
सबसे करले प्यार जगत में, कोई नहीं है पराया रे

तुझमे राम

ना मन्दिर ना वो मस्जिद ना काबे कैलाश
मन दर्पण में देख रे मूरख, प्रभु तो तेरे पास
गोरी माटी,
भई, गोरी माटी काली माटी, सब में उसकी छाया
सबसे करले प्यार जगत में, कोई नहीं है पराया रे
तुझमे राम

अरे ज़रा सा छू लेने से जिसका हो जाए अपमान
अंधी पूजा करने वालों वो कैसा भगवान्

जात पात के,
भई जात पात के भेदभाव में काहे जनम गंवाया
सबसे करले प्यार जगत में, कोई नहीं है पराया रे
तुझमे राम

अरे प्रभु के घर से क्या तुमने मेहमान को दिया निकाल
मूरख भक्तों मन्दिर से भगवान् को दिया निकाल

पत्थर में तो
अरे पत्थर में तो हरि दिखे, इंसान में देख ना पाया
सबसे करले प्यार जगत में, कोई नहीं है पराया रे

तुझमे राम
भाई तुझमे राम मुझमे राम, सब में राम समाया
सब से करले प्यार जगत में कोई नहीं पराया रे
तुझमे राम

जय जय राम कृष्ण हरि
जय जय राम कृष्ण हरि
जय जय राम कृष्ण हरि
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Tujh mein Ram-Pardesi 1957

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