Oct 29, 2009

भोर होते कागा -चिराग १९६९

कौवा जब मोर की नक़ल करेगा तो ऐसी ही आवाज़ निकालने की
कोशिश करेगा। गीत अच्छा है इसलिए इस भूल को नज़र अंदाज़
किया जा सकता है । मुझे अभी तक ऐसे कौवे की तलाश है जो ऐसी
मधुर वाणी निकालता हो। अब फोकट और बिना फीस के वाह वाह
करने की आदत हमारी तो है नहीं जो इसको अंग्रेज़ी के जुमले में
awesome effect बोलते रहें। या तो कौवे का गला है ये कोई और
वजह है इस खूबसूरत धोखा धडी की । मान लेते हैं 1969 में विक्स
की गोली उपलब्ध नहीं रही होगी, गले की खिच खिच दूर करने के
लिए ।

गाने के बोल हैं सुल्तानपुर, यू .पी. के मजरूह साहब के जिन्होंने
बहुत से झंडे गाड़े फ़िल्म जगत में। चिराग फ़िल्म का संगीत भी
लोकप्रिय एल्बम की श्रेणी में आता है । इधर एल्बम का मतलब
फ़िल्म के सारे गानों से है ।

तो साहब हो गया न अचम्भा १९६९ में, आदमी चाँद पर
पहुँचा और कौवा मोर कैसा बोला ;)



गाने के बोल:

भोर होते कागा, पुकारे काहे राम
कौन परदेसी आएगा मेरे गाम

भोर होते कागा, पुकारे काहे राम
कौन परदेसी आएगा मेरे गाम

भोर होते कागा, पुकारे काहे राम
कौन परदेसी आएगा मेरे गाम, होए

उठ के सवेरे मैं तो अंगना बुहारूं
फ़िर पनियां भरूं हाय राम जी

मुझको की आए कोई, चाहे न आए
मैं क्या करूं हाय राम जी

हाँ, हाँ, हाँ तुझे और कहीं कोई काम नहीं
बस आंख खुली पहुँचा मेरे धाम

भोर होते कागा, पुकारे काहे राम
कौन परदेसी आएगा मेरे गाम, होए, होए

क्याओं, क्याओं , क्याओं, क्याओं, चल कान न खा
जुल्मी सताए काहे, उड़ जा, रे उड़ जा
पीछा तो छोड़ मेरा राम जी

काबू जो आया मेरे, दोनों ये पंख तेरे
दूँगी मरोड़ सच राम जी

यही पास मेरे, बैठा शोर करे,
बतलाये नहीं उसका कोई नाम

भोर होते कागा, पुकारे काहे राम
कौन परदेसी आएगा मेरे गाम

भोर होते कागा, पुकारे कहे राम
कौन परदेसी आएगा मेरे गाम

भोर होते कागा, पुकारे काहे राम
कौन परदेसी आएगा मेरे गाम, होए, होए
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Bhor hote kaaga-Chirag 1969

Artists: Asha Parekh, ek kauwa

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