Nov 4, 2009

जब बाहों में जुगनू -जुगनू १९७३

इस गाने को मजमे और मेले में बहुत बजते सुना।
इसलिए ये याद सा हो गया। इसमे जयश्री टी नाम की
एक कलाकार हैं जो गज़ब की नर्तकी हैं । हाथी पर
महमूद सवार हैं और जो कलाकार ड्रम में बंद हैं वो हैं
धर्मेन्द्र । जुगनू फ़िल्म काफ़ी चली और इसके गीत भी बहुत
बजे। संगीत एस डी बर्मन का है। आवाज़ लता मंगेशकर की और
बोल लिखे हैं आनंद बक्षी ने। इस गाने में बारात से तात्पर्य
क्या है आपको मालूम है ;)



गीत के बोल:


चले आना
चले आना पीपल नीचे पिया मुलाक़ात को
चले आना पीपल नीचे पिया मुलाक़ात को
जब बाहों में जुगनू चमके आधी रात को
जब बाहों में जुगनू चमके आधी रात को
जब बाहों में जुगनू.......

ला ला ला ला ला, ला ला ला ला ला

तारों की है छाँव रखना धीरे धीरे पांव
बैरी जाग न जाएगा

तारों की है छाओं रखना धीरे धीरे पांव
बैरी जाग न जाएगा

चोरी चोरी कहना सुनना सैयां दिल की बात को
चोरी चोरी कहना सुनना सैयां दिल की बात को

जब बाहों में जुगनू
जब बाहों में जुगनू चमके आधी रात को
जब बाहों में जुगनू चमके आधी रात को
ओ, जब बाहों में जुगनू ...........

रखना ये ख्याल तेरे आगे पीछे जाल
ऊपर नीछे दिल का हाल
छुपके आना ठीक बारह बजे जुम्मे रात को
छुपके आना ठीक बारह बजे जुम्मे रात को

जब बाहों में जुगनू
जब बाहों में जुगनू चमके आधी रात को
जब बाहों में जुगनू चमके आधी रात को
ओ, जब बाहों में जुगनू ...........

दूल्हा राजा देख तू अकेला बस एक
तेरे दुश्मन अनेक
दूल्हा राजा देख तू अकेला बस एक
तेरे दुश्मन अनेक

धोखा देके तू निकल आना बारात को
धोखा देके तू निकल आना बारात को

जब बाहों में जुगनू

1 comments:

smart canadian,  November 28, 2019 at 8:30 PM  

baraati bahut saare hain

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