नदी का किनारा हो - सी आई डी ९०९ १९६७
क्या पानी आवारा हो सकता है। इस गाने में कल्पना की गई है।
आगे चल के बॉलीवुड ने "गीला गीला पानी" जैसे शब्द भी सुने।
कवि और शायरों के लिए कल्पनाओं कि कोई बंदिश है। ये गीत
वर्मा मालिक का लिखा हुआ है जिन्होंने गिने चुने गीत ओ. पी. नय्यर
के लिए लिखे हैं। आगे चल के अंतरे में पानी जवान भी हो जाता है।
सुनिए और आनंद उठाइए एक शानदार विडियो का। ये जो अभिनेत्री
हैं इस गाने में वो 'बेला बोस' जैसी नज़र आती हैं।
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गाने के बोल:
नदी का किनारा हो
पानी आवारा हो
नदी का किनारा हो
पानी आवारा हो
साथ कोई प्यारा हो तो
फिर बेड़ा प्यार है
नदी का किनारा हो
पानी आवारा हो
साथ कोई प्यारा हो तो
फिर बेड़ा प्यार है
नदी का किनारा हो
एक मैं हूँ
दूसरे तुम
एक मैं हूँ
दूसरे तुम
तीसरी शाम भी है
नशा भी है
नज़र भी है
नज़र में जाम भी है
एक मैं हूँ
दूसरे तुम
एक मैं हूँ
दूसरे तुम
तीसरी शाम भी है
नशा भी है
नज़र भी है
नज़र में जाम भी है
मौसम कंवारा हो, प्यार ने पुकारा हो
साथ कोई प्यारा हो तो
फिर बेड़ा प्यार है
नदी का किनारा हो
जवान दिल है
जवान है रे
जवान सागर का पानी
ये मुमकिन है
की बन जाए
मोहब्बत की कहानी
जवान दिल है
जवान है रे
जवान सागर का पानी
ये मुमकिन है
कि बन जाए
मोहब्बत की कहानी
दिल को सहारा हो
छुप के इशार हो
साथ कोई प्यारा हो तो
फिर बेड़ा प्यार है
नदी का किनारा हो
नदी का किनारा हो
पानी आवारा हो
साथ कोई प्यारा हो तो
फिर बेड़ा प्यार है
नदी का किनारा हो
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