बहुत दिया देनेवाले ने तुझको- सूरत और सीरत १९६२
रहती हैं और हम ये सोचते हैं कि वो हमें भूल गया है। मुकेश की
आवाज़ में ये गीत बहुत गहराई को प्राप्त हो गया है। रोशन को एक
बढ़िया गीत बनने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्। एक प्रेरणादायक
गीत जो कठिन समय में एक आशा की किरण दिखाता है।
कविवर शैलेन्द्र को भी नमन जिन्होंने इस गीत के माध्यम से
जनता को सकारात्मक सोच बढ़ने का सामान उपलब्ध कराया।
कुकुर देव के दो टांग वाले उन अवतारों को भी नमस्कार जो यहाँ
की पोस्ट केवल इसलिए पढ़ने आते हैं ताकि उन्हें देख देख के
यू ट्यूब से वो वीडियो उड़वा सकें।
गाने के बोल:
बहुत दिया देने वाले ने तुझको
बहुत दिया देने वाले ने तुझको
अंचल ही ना समाये तो क्या कीजे
बीत गए जैसे ये दिन रैना,
बाकी भी कट जाए दुआ कीजे
जो भी दे दे मालिक तू कर ले कबूल
जो भी दे दे मालिक तू कर ले कबूल
कभी कभी काँटों में भी खिलते हैं फूल
वहां देर भले है अंधेर नहीं
घबरा के यूँ गिला मत कीजे
बहुत दिया देने वाले ने तुझको
अंचल ही ना समाये तो क्या कीजे
देंगे दुःख कब तक भरम के ये चोर
देंगे दुःख कब तक भरम के ये चोर
अरे ढलेगी ये रात प्यारे, फ़िर होगी भोर
कब रोके रुकी है समय की नदिया
घबरा के यूँ गिला मत कीजे
बहुत दिया देने वाले ने तुझको
अंचल ही ना समाये तो क्या कीजे
बीत गए जैसे ये दिन रैना,
बाकी भी कट जाए दुआ कीजे
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Bahut diya dene waale ne tujhko-Soorat aur seerat 1962
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