शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन - आजा सनम १९७५
१९७५ में श्वेत श्याम फ़िल्म देखना शायद दर्शकों के लिए अनूठा
अनुभव रहा होगा। कलर निर्माता के बजट से बाहर था या फ़िर
कोई और वजह ये गीत सुनने में भी ६० के दशक का मजा देता है।
इसमे फ़िर से एक बार हमारे परम मित्र की पसंदीदा हिरोइन तनूजा हैं।
उन्हें फिरोज खान और तनूजा की जोड़ी की बी ग्रेड फ़िल्में बहुत पसंद हैं।
उनकी पसंद पर कभी कभी मुझे दाद देने की इच्छा भी होती है। उदाहरण के
लिए यह गीत जो निहायती रोमांटिक गीत है। इसको शायद ही किसी
संगीत भक्त ने रेडियो के अलावा कहीं सुना होगा। इसकी धुन बनाई है
उषा खन्ना ने और गायक हैं रफ़ी। इस गीत में जो भी अभिनय की कोशिश
करी गई है वो फिरोज खान द्वारा है। गीत लिखा है इन्दीवर ने।
फ़िल्म कब बनी, कब रिलीज़ हुई इसपर किसी को रिसर्च करना हो तो
एक और तनूजा भक्त के ब्लॉग पर नज़र मार ले।
गीत के बोल:
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
तू मेरे ख्वाबों की प्यारी दुल्हन
तू मेरे ख्वाबों की प्यारी दुल्हन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
तुझसे नज़र मेरी टकरा गई
तुझसे नज़र मेरी टकरा गई
जन्नत बरु-ऐ-ज़मीन आ गई
दिल के अंधेरों में फूटी किरण
दिल के अंधेरों में फूटी किरण
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
तू मेरे ख्वाबों की प्यारी दुल्हन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
दिल छीनती है तेरी हर अदा
दिल छीनती है तेरी हर अदा
मासूम शोखी में डूबी हया
क्या सादगी है ये क्या बांकपन
क्या सादगी है ये क्या बांकपन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
तू मेरे ख्वाबों की प्यारी दुल्हन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
तेरे लिए कितना बेचैन था
तेरे लिए कितना बेचैन था
मुझपर खुदा को तरस आ गया
काम आ गई मेरे दिल की लगन
काम आ गई मेरे दिल की लगन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
तू मेरे ख्वाबों की प्यारी दुल्हन
तू मेरे ख्वाबों की प्यारी दुल्हन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
शाम-ऐ-बहारां सुबह-ऐ-चमन
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