यारी हो गई यार से-दो चोर १९७२
अभी आपने पिछली पोस्ट में एक सज्जन के बारे में पढ़ा कि
उनको तनूजा बेहद प्रतिभाशाली अभिनेत्री नज़र आती हैं। मेरा
ऐसा मानना है की जब तनूजा ने माँ की या अन्य चरित्र भूमिकाएं
करना शुरू की तब जाके वो अभिनय में परिपक्व हुयीं । इसका
सबसे अच्छा उदाहरण है फ़िल्म कामचोर जिसमे उन्होंने हीरो की
भाभी की भूमिका निभाई थी। एक बात तो तय है कि उनकी मुस्कान
मनमोहक है।
धर्मेन्द्र और तनूजा अभिनीत फ़िल्म दो चोर का गीत -यारी हो गई यार से
मुझे बेहद पसंद है। अभिनय के लिए नहीं, बल्कि इसकी धुन और बोल थोड़े
अलग से हैं इसलिए। इस गीत में तनूजा लता मंगेशकर के गाये गीत पर
अपने होंठ भी ढंग से नहीं हिला पा रही है। उसके अलावा हीरो हिरोइन की
एक्टिंग आप इस गाने में न भी देखें तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
इस गीत को भी मजरूह साहब ने लिखा है और धुन बनाई है राहुल देव बर्मन ने।
इसके बोल समझने में शुरू शुरू में मुझे कठिनाई आई बावजूद इसके कि मैंने
सदाअत हसन मंटो की कहानियाँ बहुत पढ़ीं । क्लिष्ट और दिमाग कि बत्ती गुल
करने वाली भाषा मुझे हमेशा से प्रभावित करती रही । जिन लोगों को मजरूह की
भाषा और अभिव्यक्ति पर तनिक भी संदेह हो वो इस गीत को अवश्य ध्यान से सुने
एक बार।
गाने के बोल:
यारी हो गई
हाँ, यारी हो गई
यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
प्यार को काम क्या झूठे संसार से
हो, यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
हाँ, यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
प्यार को काम क्या झूठे संसार से
हाँ, यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
हो, यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
ओस में भीगे भीगे आकाश के तले
जाने हम जल जाना लग दर यार के सीने से
हो चूर थकन से होके जब साँस न चले
हमको जीवन मिल जाता है ज़हर के पीने से
जीते हैं प्यार से मरते हैं प्यार से
यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
यार से लक तुन तुनु
धरम सदा अपना तो हँसना बोलना
लुकना छिपना हम क्या जानें हम ओत में अंचल की
हो, करम अपना तो खुल के डोलना
लहराती बैयाँ है और ये ताल है पायल की
गूंजती हर गली प्रेम झंकार से
यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
हो,यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
प्यार को काम क्या झूठे संसार से
यारी हो गई यार से लक तुन तुनु
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