Nov 9, 2009

कटती है अब तो ज़िन्दगी -नाज़ १९५४

नाज़ फ़िल्म में लता मंगेशकर के गाये कई कर्णप्रिय नगमे हैं।
सबसे बेहतर शायद ये गीत है-कटती है अब तो ज़िन्दगी। गीत
लिखा है प्रेम धवन ने जो शायद उनके लिखे सर्वोत्तम गीतों में
से एक है। गीत सीधा सरल है लेकिन अनिल बिश्वास की धुन
ने उसको ख़ास बना दिया है।



गाने के बोल:


कटती है अब तो ज़िंदगी मरने के इंतज़ार में
कटती है अब तो ज़िंदगी मरने के इंतज़ार में
अब न ख़िज़ा में कोई ग़म, अब न खुशी बहार में
अब न ख़िज़ा में कोई ग़म, अब न खुशी बहार में

कटती है अब तो ज़िंदगी

क्या क्या फ़रेब खाये हैं, क्या क्या सितम उठाये हैं
क्या क्या फ़रेब खाये हैं, क्या क्या सितम उठाये हैं
हम तो कहीं के न रहे, हाय किसी के प्यार में
हम तो कहीं के न रहे, हाय किसी के प्यार में

कटती है अब तो ज़िंदगी मरने के इंतज़ार में
कटती है अब तो ज़िंदगी

देखी थी हमने भी बहार, हम भी हँसे थे एक बार
देखी थी हमने भी बहार, हम भी हँसे थे एक बार
कितना क़रार था कभी इस दिल-ए-बेक़रार में
कितना क़रार था कभी इस दिल-ए-बेक़रार में

कटती है अब तो ज़िंदगी मरने के इंतज़ार में
कटती है अब तो ज़िंदगी
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Katti hai ab to zindagi-Naaz 1954

Artist: Nalini Jaywant

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