Dec 4, 2009

क्या देखा नैनों वाली -धर्म पुत्र १९६१

सन १९५९ की फ़िल्म धूल का फूल में माला सिन्हा बिन ब्याही माँ बनी
थीं। इस फ़िल्म के निर्देशक यश चोपड़ा थे और इसका निर्माण किया था
बी आर चोपड़ा, उनके बड़े भाई ने। सन १९६१ में एक फ़िल्म और बनाई
बी आर चोपड़ा ने-धर्म पुत्र इसका निर्देशन भी यश चोपड़ा ने किया। इसमे
भी माला सिन्हा ने एक बार फ़िर मिलता जुलता सा रोल किया जिसमे
उसे उसका प्रेमी छोड़ के चला जाता है। फ़िल्म के बारे में चर्चा किसी और
गाने के समय। फिलहाल इस गीत पर चर्चा की जाए। ये इस फ़िल्म का
एक कम सुना गया गीत है। गायिका हैं आशा भोंसले और संगीतकार
एन. दत्ता।

साहिर का सोचने का ढंग जुदा होने के कारण अगर खोजे जाएँ तो हमें
थोड़ा उनके दर्शन को समझने का मौका मिलेगा. साहिर की ज़िन्दगी
इतने उतार चढ़ाव भरी थी कि एक संवेदनशील रचनाकार का "यूँ" ही
प्रभावित होना सहज ही समझ आता है। जिस व्यक्ति ने अमीरी से लेकर
फुटपाथ पर फाकाकशी तक सभी रंग देखें हों, वही व्यक्ति इतने करीबी
और संजीदा बयान अपने शब्दों में पिरो सकता है।

उदाहरण के लिए इसी नग्मे में:
नायिका का अंतर्मन पूछ रहा है- "क्या देखा नैना वाली नैंना क्यूँ भर आये"
नैना वाली से मतलब- नैना तो सभी प्राणियों की इश्वर ने सामान दिए हैं.
नैनों से भावाभिव्यक्ति का गुण भी बहुत से प्राणियों को दिया है। नैनों से
मतलब यहाँ दो हो सकते हैं-सुन्दर नयन वाली या फिर बुद्धिमान दृष्टि वाली।
अब जिसको जो समझना है समझ ले।

जवाब उसका चेतन मन देता है-
"कोख भरी और गोद है खाली, नैना यूँ भर आये"

यहाँ मन और अंतर्मन का द्वंद बहुत ही अनूठे ढंग से दर्शाया गया है।
शायद ही कभी नेट पर किसी जगह इस गाने और इसके विडियो का जिक्र
होते मैंने देखा है। यही विडम्बना है हमारे संगीत प्रेमियों और समीक्षाकारों
की, उन्होंने कभी भी एन दत्ता और साहिर के युग्म पर चर्चा नहीं करना चाही।
वे हमेशा एस. डी. बर्मन और साहिर के संगम का गुणगान करते रह गए।

सवाली शब्द का सबसे ज्यादा प्रचार जिस गाने ने किया वो है "हो के मायूस
तेरे दर से सवाली न गया " फिल्म लैला मजनू से, उल्लेखनीय बात ये है कि
इस गाने के शब्द भी साहिर की लेखनी से छूटे थे।

सवाली का सीधा अर्थ भिखारी से लगाना शायद किसी के आत्मसम्मान
को चोट पहुँचाना होता है, इसलिए कवि या शायर अपनी बात कहने के लिए
बहु अर्थी शब्द खोजा करते हैं । ' सवाली' भी एक बहु-अर्थी शब्द है जिसका
यहाँ मतलब "भिखारी" भी हो सकता है और "याचक" भी। याचक कहने से
मर्म को चोट थोडी कम पहुँचती है।



गीत के बोल:

क्या देखा नैनों वाली
नैना क्यूँ भर आए
कोख भरी और गोद है खाली
नैना यूँ भर आए
नैना यूँ भर आए

माँ बन कर भी माँ न बनी मैं
बदनामी के डर से
दूध मेरे बोझल सीने को
आंसू बन बन बरसे
अपना धन और आप सवाली
नैना यूँ भर आए
नैना यूँ भर आए
नैना यूँ भर आए

क्या देखा नैनों वाली
नैना क्यूँ भर आए
नैना क्यूँ भर आए
कोख भरी और गोद है खाली
नैना यूँ भर आए
नैना यूँ भर आए

जी भी सकी तो जीते जी ये
रहेगा मुझको
बोलेगा पर मेरा मुन्ना
माँ न कहेगा मुझको
माँ कहलाना बन गया गाली
नैना यूँ भर आए
नैना यूँ भर आए
नैना यूँ भर आए

क्या देखा नैनों वाली
नैना क्यूँ भर आए
नैना क्यूँ भर आए
.........................................................
Kya dekha nainon waali-Dharmputra 1961

2 comments:

माला सिन्हा फैन,  August 7, 2017 at 1:04 AM  

एक और गाना है तेरे नैना क्यों भर आये

Geetsangeet August 28, 2017 at 9:27 PM  

हाँ खूब याद दिलाया आपने. ये भी सुनवाना बाकी है.

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