Dec 12, 2009

मुन्ना बड़ा प्यारा-मुसाफिर १९५७

शैलेन्द्र ने ये गीत अपने बालक को ध्यान में रख कर लिखा था, ऐसा
तमाम किस्से और कहानियों से पता चलता है। उनके पुत्र शैली शैलेन्द्र
ने इस बात का जिक्र भी किया है किसी इंटरव्यू में ।

१९५७ की फ़िल्म मुसाफिर में ये गीत गाया है किशोर कुमार ने ।
किशोर कुमार प्रमुख गायक-अभिनेता रहे हिन्दी फिल्मों के और
उनसे सभी रंग के गीत गवा लिए फ़िल्म और संगीत निर्देशकों ने।
फ़िल्म में संगीत दिया है सलिल चौधरी ने। किशोर कुमार के
साथ निरूपा राय नाम की कलाकार परदे पर आपको दिखलाई देंगी।
ऋषिकेश मुखर्जी के सुनहरे सफर का पहला कदम था ये।




गीत के बोल:

मुन्ना बड़ा प्यारा , अम्मी का दुलारा
कोई कहे चाँद कोई आंख का तारा

हँसे तो भला लगे, रोये तो भला लगे
अम्मी को उसके बिना कुछ भी अच्छा न लगे
जियो मेरे लाल, जियो मेरे लाल
तुमको लगे मेरी उमर जियो मेरे लाल

मुन्ना बड़ा प्यारा , अम्मी का दुलारा
मुन्ना बड़ा प्यारा , अम्मी का दुलारा
कोई कहे चाँद कोई आंख का तारा

एक दिन वो माँ से बोला, क्यूँ फूंकती है चूल्हा
क्यूँ न रोटियों का पेड़ हम लगा ले
आम तोड़ें रोटी तोड़ें, रोटी आम खा लें
क्यूँ न रोटियों का पेड़ हम लगा ले
आम तोड़ें रोटी तोड़ें, रोटी आम खा लें
काहे करे रोज़ रोज़ तू ये झमेला
अम्मी को आई हँसी , हंस के वो कहने लगी
लाल मेहनत के बिना रोटी किस घर में पकी
जियो मेरे लाल, जियो मेरे लाल
ओ जियो जियो जियो जियो मेरे लाल

मुन्ना बड़ा प्यारा , अम्मी का दुलारा
मुन्ना बड़ा प्यारा , अम्मी का दुलारा
कोई कहे चाँद कोई आंख का तारा

एक दिन वो छुपा मुन्ना, ढूंढें न मिला मुन्ना
एक दिन वो छुपा मुन्ना, ढूंढें न मिला मुन्ना
बिस्तर के नीचे, कुर्सियों के पीछे
देखा कोना कोना, सब थे साँस खींचे
बिस्तर के नीचे, कुर्सियों के पीछे
देखा कोना कोना, सब थे साँस खींचे
कहाँ गया कैसे गया, सब थे परेशान
सारा जग ढूंढ थके, कहीं मुन्ना न मिला
मिला तो प्यार भरी माँ की आँखों में मिला
सारा जग ढूंढ थके, कहीं मुन्ना न मिला
मिला तो प्यार भरी माँ की आँखों में मिला
जियो जियो मेरे लाल, जियो मेरे लाल
अरे जियो जियो जियो जियो मेरे लाल

मुन्ना बड़ा प्यारा , अम्मी का दुलारा
मुन्ना बड़ा प्यारा , अम्मी का दुलारा
कोई कहे चाँद कोई आंख का तारा
कोई कहे चाँद कोई आंख का तारा
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Munna bada pyara-Musafir 1957

Artist: Kishore Kumar

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