तोरा मनवा क्यूँ घबराए -साधना १९५९
गीता दत्त की आवाज़ एं भजन सुनना एक अलौकिक अनुभव है।
फिल्म साधना के इस भजन को सुनकर आप खुद अनुभव कीजिये।
साहिर के बोलों को सुरों में पिरोया है एन दत्ता ने। फिल्म इतिहास के
अच्छे भजनों में इसको गिना जाता है। इस भजन कि धुन एक पुराने
भजन से प्रेरित है जो सन १९४९ में गीता ने गाया था संगीतकार
अविनाश व्यास के लिए। उसका लिंक भी नीचे दिया हुआ है। ये
गुजराती भाषा में है
गुजराती भजन
गीत के बोल:
तोरा मनवा क्यूँ घबराए रे
लाखों दीन दुखियारे प्राणी
जग में मुक्ति पायें
हे, राम जी के द्वार से
तोरा मनवा क्यूँ घबराए रे
लाखों दीन दुखियारे प्राणी
जग में मुक्ति पायें
हे, राम जी के द्वार से
बंद हुआ ये द्वार कभी ना
जुग कितने ही
जुग कितने ही बीतें
सब द्वारों पे हारने वाले
इस द्वारे पर, इस द्वारे पर जीतें
लाख पतित लाखों पछ्ताएं
हे, लाख पतित लाखों पछ्ताएं
पवन होकर आये रे,
राम जी के द्वार से
तोरा मनवा,
तोरा मनवा क्यूँ घबराए रे
लाखों दीन दुखियारे प्राणी
जग में मुक्ति पायें
हे, राम जी के द्वार से
हम मूरख जो काज बिगाड़ें
राम वो काज संवारें
राम वो काज संवारें
ओ महानंदा हो कि अहिल्या
सब को पार उतारे
हे, सब को पार उतारे
जो कंकर चरणों को छू ले
जो कंकर चरणों को छू ले
वो हीरा हो जाए
राम जी के द्वार से
तोरा मनवा,
तोरा मनवा क्यूँ घबराए रे
लाखों दीन दुखियारे प्राणी
जग में मुक्ति पायें
हे, राम जी के द्वार से
ना पूछें वो जात किसी कि
ना गुण अवगुण
ना गुण अवगुण जांचें
वही भगत भगवन को प्यारा
जो हर वाणी
जो हर वाणी बांचे
जो कोई श्रद्धा लेकर आये
जो कोई श्रद्धा लेकर आये
झोली भर के जाए रे
राम जी के द्वार से
तोरा मनवा,
तोरा मनवा क्यूँ घबराए रे
लाखों दीन दुखियारे प्राणी
जग में मुक्ति पायें
हे, राम जी के द्वार से
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