ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी-दौलत १९८१
दौलत फिल्म सन १९८१ की फिल्म है। फिल्म ने ज्यादा दौलत तो नहीं
कमाई मगर अपनी उपस्थिति दर्ज करा गयी। इसका श्रेय जीनत को दिया
जाए या विनोद खन्ना को, निर्णय कर पाना मुश्किल है। इस फिल्म के दो
किशोर के गाये गीत काफी सुनाई दिए। प्रस्तुत गीत लता मंगेशकर का गाया
हुआ है। अमूमन ऐसे वाक्यों के लिए आर. डी. बर्मन या एनी संगीतकार आशा
की आवाज़ का इस्तेमाल करते थे मगर लता ने भी इस गीत को प्रभावी
बनाने में कोई कसार नहीं छोड़ी है। गीत लिखा है निदा फाजली ने । खलनायक
के अड्डे पर गाना-ये एक फार्मूला है हिंदी फिल्मों का। यहाँ बीहड़ के अड्डे की
जगह होटल के क्लब(आधुनिक अड्डा) में गाना गाया जा रहा है। सारिका और
राज बब्बर भेस बादल के होटल में बैठे हैं। भेस बदले हुए कलाकार दर्शकों
द्वारा पहचान लिए जाते हैं लेकिन फिल्म के कहानी में उनको कोई नहीं पहचान
पाता।
गीत के बोल:
हो ओ ओ हो, हो हो हो
हो ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी
दो घडी की ये ज़िन्दगी
कौन जाने किस बहाने मौत आ जाए
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
तेरे मेरे बीच कोई दूरी ना रहे
प्यास मेरे मन की अधूरी ना रहे
हो, तेरे मेरे बीच कोई दूरी ना रहे
प्यास मेरे मन की अधूरी ना रहे
मनचली मैं मनचली, कैसी हूँ मैं मनचली
कौन जाने किस बहाने बात बन जाए
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
आँखें ना चुरा हमसे आँखें तो मिला
रह ना जाए आज कोई शिकवा गिला
हो, ऑंखें ना चुरा हमसे ऑंखें तो मिला
रह ना जाए आज कोई शिकवा गिला
अरे आ गयी मैं आ गयी, तेरे लिए मैं आ गए
कौन जाने किस बहाने राज़ खुल जाए
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
तारे उजाले बदल जायेंगे
हम तो चुपके से निकल जायेंगे
हो, तारे उजाले बदल जायेंगे
हम तो चुपके से निकल जायेंगे
रुक गयी मैं रुक गयी, तेरे लिए मैं रुक गयी
कौन जाने इस बहाने जाम टकराएँ
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी
दो घडी की ये ज़िन्दगी
कौन जाने किस बहाने मौत आ जाए
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
जवानी झूम के गाये, जवानी झूम के गाये
0 comments:
Post a Comment